जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

मझौली स्वास्थ्य केंद्र में सिहोरा से आती थी चाय, ठंडी चाय का बिल 70 हजार

फर्जी बिल पर साइन करने से मना करने में कर्मी का तबादला

जबलपुर, यशभारत। भ्रष्टाचार के किस्से बहुत सुने होंगे लेकिन जबलपुर के मझौली स्वास्थ्य केंद्र में जो भ्रष्टाचार हुआ है उसे कभी न सुना होगा और न कभी पढ़ा होगा। दरअसल स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी अपने लिए सिहोरा से चाय मांगते थे जो पूरी तरह से ठंड हो जाती थी इसी चाय का बिल 70 हजार रूपए होता था। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब प्रोग्राम मैनेजर ने चाय का फर्जी बिल पास करने से इंकार कर दिया। कर्मी की मनाही के बाद उसका तबादला किसी दूसरे जिले में कर दिया गया परंतु भ्रष्टाचार की हदें पार कर चुकें मझौली स्वास्थ्य अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए कर्मी ने अपने तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जहां से न्यायालय ने कर्मी का तबादला रोक दिया गया।

 

बताया जा रहा है के मझौली में भ्रष्टाचार का ये खेल बरसों से यहां चल रहा था लेकिन यहां पदस्थ होकर आए बीपीएम यानि ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर अमित चंद्रा ने फर्जी बिलिंग पर रोक लगा दी। बीपीएम ने जब फर्जी बिलों पर साईन करने से इंकार किया और दबाव आने पर यहां के बीएमओ डॉक्टर पारस ठाकुर की शिकायत कर दी तो कार्यवाई उल्टा उन्हीं पर कर दी गई। शिकायतकर्ता कर्मचारी का तबादला मंझौली से दूर दमोह जिले के तेंदूखेड़ा कर दिया गया। अब भ्रष्टाचार के इन पुख्ता सुबूतों के साथ पीडि़त कर्मचारी अमित चंद्रा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया।

हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अलावा संबंधित बीएमओ डॉ पारस ठाकुर और एनआरएचएम यानि नेशनल रुरल हैल्थ मिशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले कर्मचारी का ही तबादला कर देने वाले स्वास्थय विभाग के अधिकारी फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कहकर बयान देने से बच रहे हैं लेकिन हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है।

अनुशासहीनता के आरोप लगाकर किया गया तबादला
हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी बीएमओ डॉक्टर पारस ठाकुर को नोटिस जारी कर जांच शुरू की ही थी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनहीनता जैसे आरोप लगाकर बीएमओ ने आला अधिकारियों को शिकायत की जिसके बाद उसका तबादला कर दिया गया। हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के इन सुबूतों को देखते हुए तत्काल संज्ञान लिया है और याचिकाकर्ता बीपीएम अमित चंद्रा के तबादले पर रोक लगा दी है।

 

 

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