भोपाल हादसे से नहीं लिया सबक प्रशासन ने बैठाई जांच लाशे देखकर सहम उठे लोग

नीरज उपाध्याय
चंडालाभाटा विजय नगर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल आग की लपटों से घिरा हुआ था, चीख पुकार मची हुई थी, सिर्फ बचाओ, बचाओ की आवाज आ रही थी। अस्पताल का स्टाफ भी अंदर फंसकर जान की दुहाई मांग रहा था। जो बच गए थे वो गला फाड़कर रो रहे थे, परिजनों के आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे, बहुत से शव राख होकर निकलें। जिसने भी ये मंजर देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए। हादसा इतना खौफनाक था कि लोगों का गुस्सा होना जायज था। इस हादसे ने प्रशासनिक व्यवस्था को जोरदार तमाचा जड़ा है।
सब कुछ मिटने के बाद संभागायुक्त की अगुवाई में जांच बैठाई गई है। सही भी है प्रशासन का काम भी ये बचा है कि प्यास लगने पर ही कुंआ खोदा जाए, व्यर्थ में क्यों मेहनत हो। दर्दनाक हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई, मृतकों के घरो में मातम छाया हुआ है। अस्पताल की लापरवाह व्यवस्था को कोसा जा रहा है और सबसे ज्यादा इसमें दोषी माना जा रहा है प्रशासन को।
यहां जानने वाली बात ये है कि कुछ समय पूर्व भोपाल के एक अस्पताल में भीषण अग्नि हादसा हुआ था जिसके बाद मध्यप्रदेश सरकार एक्शन में आई और प्रदेश के सभी अस्पतालों फायर सेप्टी की जांच के आदेश दिए। सरकार का आदेश जबलपुर भी पहंुचा। नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार अधिकारियों ने सरकार के आदेश को पढ़ा और अस्पतालों को फारवर्ड कर दिया । अस्पतालों ने भी सरकार आदेश मानकर उसे फाइलों में दबा दिया इधर प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सरकारी व्यवस्था का पालन करते हुए पूरा मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब जब हादसा हुआ तो अस्पतालों के जांच के आदेश दिए गए, कार्रवाई का चाबुक चलाने की ऐलान किया गया।