भाजपा की तिकड़ी ने कर दिया 2 वोट का कमाल जोड़ में दिखाई दमदारी, गुणा भाग में कमजोर निकली कांग्रेस

-अजय पांडेय-
जबलपुर यश भारत । नगर पंचायत अध्यक्ष चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने आंकड़ों में हारी हुई बाजी परिणाम आने के बाद जीत में बदल दी। इस जीत के कुछ अलग मायने हैं। तो कांग्रेस जीती हुई विसात कैसे हार गई इसको लेकर भी विश्लेषण हो रहा है। लेकिन वास्तविकता के धरातल पर भाजपा के एक पूर्व मंत्री जो वर्तमान में विधायक हैं एक विधायक और एक पूर्व महापौर की तिकड़ी ने मिलकर पूरा खेल बदल दिया। जानकारी के अनुसार भाजपा की इस जीत में पार्टी के फ्लोर मैनेजमेंट के साथ-साथ कांग्रेस के एक सक्रिय नेता की दगाबाजी शामिल है।
जिसके चलते भाजपा कमजोर होने के बाद भी अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही। जब कांग्रेस सदस्यों ने मतदान के लिए जिला पंचायत भवन में प्रवेश किया तो उसके पास 9 वोट थे और भाजपा की संख्या 8 तक सीमित थी। लेकिन परिणाम जब सामने आए तो भाजपा 8 पर टिकी रही वहीं कांग्रेस 9 से घटकर 7 पर चली आई। जिसमें 2 वोट कांग्रेस के खाते से रिजेक्ट हो गए। अब इस रिजेक्शन की भी पूरी पटकथा है जिसके अनुसार कांग्रेस के बागियों ने भाजपा के पक्ष में मतदान करने से मना कर दिया था जिसके बाद यह रास्ता निकाला गया। जिस से सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी।
जानकारी के मुताबिक भाजपा के एक वरिष्ठ नेता द्वारा कांग्रेस के दूसरे नेताओं से संपर्क स्थापित किया गया जो इस पूरी प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा था। जिसके माध्यम से दो सदस्यों के साथ एक डील हुई और डील की कीमत भी बहुत बड़ी थी। जिसके बाद समीकरण भाजपा के पक्ष में बन गए। इस बात की सुगबुगाहट कांग्रेस खेमे में पहले से थी कि भाजपा कुछ इस तरह की तोडफ़ोड़ कर सकती है लेकिन अति उत्साह और श्रेय लेने की होड़ में इन कयासों को नजरअंदाज कर दिया गया। भाजपा हारी हुई बाजी जीत कर निकल गई।लेकिन उपाध्यक्ष को लेकर स्थिति स्पष्ट थी कि यहां भी परिणाम भाजपा के पक्ष में होंगे परन्तु नतीजे पूरी तरह से इस के उलट रहे। यहां भाजपा अपने संख्या बल पर ही सीमित रही और कांग्रेस ने अपने आंकड़ों को वोट में परिवर्तित कर अपना उपाध्यक्ष बना लिया। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि यह पूरा समीकरण पार्टी का स्तर पर नही था। सेटलमेंट व्यक्तिगत स्तर पर किया गया था।जिससे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष में अलग-अलग परिणाम सामने आए हैं।