भयावह हुआ जल संकट : नल जल योजना नहीं हो सकी शुरू , निजी बोरवेल से पानी खरीद रहे ग्रामीण

मंडला, यश भारत। आजादी के वर्षो बाद भी जिले के कई गांव विकास की बाट जोह रहे हैं। जिले में ऐसे कई गांव है, जहां मूलभूत सुविधाओं के साथ योजनाओं तक का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिले के नारायणगंज विकासखंड के कई ग्राम, मजरे, टोलों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि है। ग्रामीण पानी के लिए परेशान होते नजर आ रहे है। मार्च माह से ही जिले के ग्रामीण अंचलों में जल संकट गहराने लगा था। गर्मी का रुद्र रूप अपनी प्रचंडता पर है। अप्रैल माह का दूसरा पखवाड़ा भी समाप्त होने को है और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पानी के जदोजहद करते देखे जा रहे है।
दूर-दूर से लोग पीने के पानी की व्यवस्था कर रहे है। पेयजल के लिए लोग हैंडपंप, कुंआ, नदी समेत अन्य जल स्त्रोत का सहारा लेने मजबूर है, लेकिन ये जल स्त्रोत भी अब धोखा देने लगे है। ग्रामीणों की जल समस्या के लिए विभाग कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर रहा है। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। जानकारी अनुसार जिले के 1215 गांवों को वर्ष 2024 तक हर घर नल कनेक्शन का लक्ष्य जल जीवन योजना के तहत रखा गया है। जिससे हर परिवार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके। इस शुद्ध पेयजल के लिए अभी कई ग्रामों के ग्रामीणों को इंतजार करना पड़ेगा। फिलहाल ग्रामीण पानी के लिए कुंए, हैंडपंपों में घंटो लाईन लगाकर पेयजल की व्यवस्था कर रहे है। बताया गया कि विकासखंड नारायणगंज के ग्राम, मजरे, टोलों में जल संकट गहरा गया है। भीषण गर्मी पड़ने के साथ ही जलसंकट की स्थिति भी कई स्थानों पर बन रही है। इस समय नारायणगंज जनपद पंचायत के ग्राम गुजरसानी में पेयजल की समस्या से ग्रामीण जूझ रहे है।
करीब दो हजार की आबादी वाला गांव में सात हैंडपंप है, लेकिन इस गर्मी के कारण मात्र दो हैंडपंप में ही पानी निकल रहा है, आगामी कुछ दिनों में ये हैंडपंप भी हवा उगलने लगेंगे। गर्मी के दिनों में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ग्रामीण दूर से पानी लेकर आना पड़ रहा है। वहीं गांव की महिलाओं को सुबह 4 बजे से ही हैंडपंप में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। इस तरह गांव में पानी की भीषण समस्या गर्मी बढने के साथ बढ़ जाएगी।
100 रुपए प्रतिमाह खरीद रहे पानी :
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में आधा दर्जन हैंडपंप है, लेकिन अभी दो हैंडपंप ही चालू है, लेकिन ये हैंडपंप भी बढ़ती गर्मी के साथ इनका जल स्तर नीचे उतर जाएगा और बंद हो जाएगे। जल संकट की स्थिति अप्रैल माह शुरू होते ही विकराल होने लगी थी। ग्रामीणों को नल जल योजना शुरू न होने के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए ग्राम के लोगों ने दूसरा विकल्प ढूंढ लिया है। ग्राम में एक निजी बोर कराया गया है। जिस निजी बोर से ही ग्रामीणों को 100 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से पानी खरीदना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में चुनाव के समय जनप्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन द्वारा पानी के टेंकर की व्यवस्था कराई गई थी, लेकिन चुनाव का माहौल खत्म होते ही पानी का टेंकर भी लपता हो गया है।
जनप्रतिनिधियों ने भुला दिया वादा :
ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय उन्हें जनप्रतिनिधियों से वादे मिलते है। कहां जाता है कि हमें चुनाव में वोट दो हम गांव की समस्या हल कराएंगे, लेकिन वोट लेने के बाद कोई जनप्रतिनिधी उनकी सुध लेने नही आता है। चुनाव जीतने के बाद सभी नेता, जनप्रतिनिधि मटेरियल सप्लायर ठेकेदारी कराने में व्यस्त हो जाते है। जिन नेताओ को यहां की जनता चुन कर लाती है, वे नेता जानता की सुध नहीं लेती है। जिसके कारण जिले के कई ग्रामों का विकास अधर में लटका हुआ है।