ब्राम्हण समाज ने फर्जी एफ.आई.आर. का विरोध कर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन*
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*जबलपुर। मुख्यमंत्री, डॉ.मोहन यादव , एवं श्री बी.डी.शर्मा (म.प्र.अध्यक्ष) एवं भा.ज.पा. प्रदेश अध्यक्ष को एक ज्ञापन ब्राह्मण समाज एवं कर्मचारी जगत द्वारा कलेक्टर जबलपुर को सौपा गया।जिसमें उल्लेखित है कि, ब्राह्मण एकता मंच एवं भगवान परशुराम वंशज के संस्थापक, संयोजक सदस्य पं.एड. योगेन्द्र दुबे (सेवानिवृत्त कर्मचारी) एवं पं.एड.राम दुबे (सेवानिवृत्त कर्मचारी) अपना संपूर्ण जीवन मानव समाज के हित समर्पित कर दिया है। जी जिन्होंने ब्राह्मण समाज ही अकेले क्या विद्यमान हर समाज के चाहें कर्मचारी जगत से हो या सामाजिक स्तर के हो हजारों की संख्या में ऐसे परिवार जो उन की मद्द फल स्वरूप ससमम्मान जीवन यापन कर रहें हैं कई परिवारों की नौकरियों, कई परिवारों के बच्चों की शिक्षा, दीक्षा, कन्याओं के विवाह, कई परिवारों का भरण पोषण इन दोनों विप्र बंधुओं के संरक्षण में निरंतर चलता चला अ रहा है। इसी द्वेश व ईर्षा की भावना से ग्रसित होकर फर्जी दस्तावेजों से जबलपुर जिला प्रशासन द्वारा पं.एड. योगेन्द्र दुबे (सेवानिवृत्त कर्मचारी) एवं जबलपुर नगर निगम प्रशासन व तथा कथित भ्रष्ट कर्मचारी द्वारा पं.एड.राम दुबे जी (सेवानिवृत्त कर्मचारी) पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर फर्जी व गलत आपराधिक प्रकरण दर्ज कर दोनों की छवि को धूमिल करने का कुत्सित किया जा रहा है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रशासन द्वारा पं.एड. योगेन्द्र दुबे (सेवानिवृत्त कर्मचारी) एवं जबलपुर नगर-निगम प्रशासन व तथा तथा कथित भ्रष्ट कर्मचारी द्वारा पं.एड.राम दुबे जी (सेवानिवृत्त कर्मचारी) के ऊपर भविष्य में घोर व बड़े आपराधिक प्रकरण दर्ज करा कर इन विप्र बंधुओं की सामाजिक छवि को समाप्त करने साजिश रची जा रही है। इस घटना से क्षुब्ध होकर संपूर्ण ब्राह्मण समाज के साथ ही साथ समस्त तकनीकी-अधिकारी कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश नगर-निगम, नगर-पालिका, कर्मचारी संघ. म.प्र. तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त-मोर्चा, अजाक्स-संघ, फील्ड-वर्क्स कर्मचारी संघ व जबलपुर जिले के हजारों कर्मचारियों में भारी-आक्रोष व्याप्त है। और ब्राम्हण समाज के साथ ही समस्त संघों ने एकजुट होकर ज्ञापन प्रेषित करते हुये मांग की है कि, हमारे दोंनों ही विप्र-बंधुओं के ऊपर की गई फर्जी व गलत प्रकरण की स्पष्ट जाँच करते हुए दोषियों पर कठोर एवं दंण्डात्मक कार्यवाही की जायें ताकि भविष्य में इस तरह के कृत्य की पुनरावृत्ति न हो सकें और शासन की छवि भी धूमिल होने से रोका जा सके।