जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

बेबस-दुखी मां की दर्द भरी कहानीः कोरोना में पति-बेटी को खोने के बाद दूसरों के लिए समर्पित किया जीवन

मोक्ष संस्था को एंबुलेंस दान कर समाज सेवा में आगे आई कृष्णादास

WhatsApp Icon
Join Yashbharat App

जबलपुर, यशभारत। अपनों के जाने के बाद व्यक्ति का जीवन किस कदर गुजरता है यह जानना है तो तिलहरी निवासी 66 साल की कृष्णा दास से पूछिए। कृष्णा दास ने अपने पति और बेटी को कोरोना काॅल में खो दिया। बेबस और दुखी मन से कृष्णादास उन्हें हमेशा याद करती रहती है। लेकिन उनकी यादों से वह कमजोर नहीं बनी अलबत्ता मजबूत हो गई। इसी के तहत कृष्णादास ने समाज सेवा में कदम बढ़ाया और मोक्ष संस्था को एंबुलेंस दान की। कृष्णादास के पति गन कैरिज फैक्टरी में मैनेजर थे, जो कि 13 साल पहले रिटायर्ड हुए थे. महिला के पति के साथ-साथ उसकी इकलौती बेटी का भी निधन हो गया।

कोरोना की दूसरी लहर में खोये पति और बेटी
तिलहरी में रहने वाली 66 साल की कृष्णा दास का परिवार एक पल में ही खत्म हो गया। कल तक कृष्णा के परिवार में पति थे, बेटी थी पर आज वह अकेली हैं। कोरोना ने उनके पति और बेटी को छीन लिया है, उनकी याद में कृष्णा ने 17 लाख रुपये की एम्बुलेंस मोक्ष संस्था को दान की है। कृष्णा आज कोरोना की दूसरी लहर के मंजर को याद कर हमेशा रोती रहती हैं। पति और बेटी को गए 1 साल होने को है पर आज भी कृष्णा की आंखें नम हैं।

मां-पिता की सेवा करने अमेरिका से आई थी कृष्णा
कृष्णा दास ने बताया कि उनकी इकलौती 36 साल की बेटी अमेरिका में साॅफ्टवेयर इंजीनियर थी। माता पिता के बीमार होने के चलते 2021 में वह जबलपुर शहर आ गई। इस बीच सुदेशना दास और कृष्णा दास के पति साधन कुमार कोरोना पाॅजिटिव हो गए। दोनों की हालत लगातार बिगड़ती गई। अप्रैल 2021 में सुदेशना की मौत हो गई, आंखों के सामने ही बेटी के चले जाने से पति भी सदमे में आ गए, इस दुख को वह बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनकी भी मौत हो गई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button