बडेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल ने रचा कीर्तिमान :जबलपुर में हुआ पहला लेप्रोस्कोपिक किडनी ट्रांसप्लांट

जबलपुर यश भारत |बडेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के सतत, अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप शहर के किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ राजेश पटेल एवं वरिष्ठ नेफ़ोरोलोजिस्ट डॉ. विशाल वढ़ेरा ने 9 जनवरी 2022 को जबलपुर एवं समस्त महकौशल क्षेत्र का प्रथम डोनर लेप्रोस्कोपिक किडनी ट्रांसप्लांट का कीर्तिमान स्थापित करते हुए नए वर्ष में जबलपुर और समस्त महा कौशल क्षेत्र को सफल किडनी ट्रांसप्लांट की सौगात दी है।
इस सफल ऑपरेशन के बाद महा कौशल क्षेत्र के गम्भीर किडनी मरीज़ों को, जिन्हें ट्रांसप्लांट(प्रत्यारोपण ) की आवश्यकता है, उन्हें अब बड़े शहरों की लम्बी वेटिंग लिस्ट और सतत लगने वाले चकक्करों से निजात मिल जाएगी। इतने जटिल और कठिन ऑपरेशन की सुविधा अब शहर में भी उपलब्ध होना जबलपुर के मेडिकल क्षेत्र की बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब क्षेत्र के वो जरूरतमंद मरीज़ जिनके लिए बाहर जाकर इलाज करवाना सम्भव नही था, वो आसानी से इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
बडेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के डायरेक्टर राजीव बडेरिया ने बताया कि ये उनके हॉस्पिटल एवं समस्त क्षेत्र के लिए बहुत ही गर्व की बात है, कि इतनी विश्वस्तरीय मेडिकल सुविधाएँ यहाँ भी उपलब्ध होने लगी हैं। हॉस्पिटल के कुशल एवं अनुभवी डॉक्टर्स की टीम के कारण इतना बड़ा ऑपरेशन यहाँ करना सम्भव हो पाया है। डॉ राजेश पटेल, डॉ विशाल वढ़ेरा के साथ डॉ शैलेंद्र राजपूत, डॉ फतनींद्र सोलंकी, डॉ देवेश गुप्ता, डॉ अनूप जैन, डॉ पंकज शर्मा, डॉ विपिन रघुवंशी और कुशल स्टाफ़ का भी इसमें विशेष योगदान रहा। साथ ही मेट्रो हॉस्पिटल के कुशल नर्सिंग स्टाफ़ की देखरेख के कारण ही मरीज़ इतनी शीघ्रता से स्वस्थ हो पाया है। लेप्रोस्कोपी द्वारा ऑपरेशन होने से डोनर को मात्र तीन दिनों में ही छुट्टी दे दी गई, जिसमें की सामान्यतः सात दिनों का वक्त लगता है।अब मरीज़ भी पूरी तरह स्वस्थ हो चुका है और एक सामान्य इंसान की तरह जीवन जीने लगा है और छुट्टी हो चुकी है।
-किडनी फ़ेल्यर
किडनी फ़ेल्यर एक ऐसी बीमारी है जिसमें बड़े हुए शुगर अथवा अन्य कारणों के मरीज़ की दोनों किडनी काम करना बंद कर देती हैं और ज़िंदा रहने के लिए डायलिसस या किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र इलाज बचते हैं। डायलिसस भी सिर्फ़ अस्थाईइलाज है। इससे मरीज़ की बीमारी ठीक नही होती और ये ज़िंदगी भर करवाना पड़ता है, वो भी हफ़्ते में कम से कम दो से 3 बार शारीरिक और मानसिक तकलीफ़ के अलवा परिवार को खर्चा भी बहुत उठाना पड़ता है जो कि हर किसी के लिए सम्भव नही हो पाता। ऐसे में सबसे अच्छा इलाज किडनी ट्रांसप्लांट ही माना जाता है।
– जटिल ऑपरेशन है
किडनी ट्रांसप्लांट एक जटिल ऑपरेशन है जिसके लिए विशेषज्ञ और अनुभवी डाक्टर्ज़ की पूरी टीम, ऑपरेशन की बाद की केअर के लिए ट्रेंड हॉस्पिटल स्टाफ़ की बहुत ज़रूरत होती है। इसमें एक स्वस्थ डोनर की एक किड्नी निकाल कर मरीज़ को लगा दी जाती है। चूँकि एक किडनी होने पर इंसान बिलकुल सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, तो मरीज़ और डोनर दोनों ही बिलकुल स्वस्थ ज़िंदगी जीते हैं। आम तौर पर इतने बड़े ऑपरेशन के लिए जबलपुर के लोगों को बड़े शहर का रुख़ करना पड़ता था जिसमें मरीज़ और उसके परिवार को ना सिर्फ़ आर्थिक बल्कि अन्य कई तरह की तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता था। ना सिर्फ़ ऑपरेशन के लिए 2 से 3 महीने वहाँ रुकना होता है बल्कि किडनी ट्रांसप्लांट के सफल ऑपरेशन के बाद भी मरीज़ को ज़िंदगी भर फ़ॉलोअप में रहना ज़रूरी होता है।इसीलिए इस ऑपरेशन के लिए शहर के बाहर जाने पर कई तरह की दिक़क़तें आती हैं। अब किडनी के मरीज़ों को अन्य किसी महानगर जाने की आवश्यकता नही है बल्कि यह हमारे शहर जबलपुर में बड़ेरिया मेट्रोप्राइम मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में अब संभव है।