देश

बड़े शौक से सुन रहा था ये जमाना, तुम्ही सो गए दास्तां कहते कहते…कटनी में संगीत और सियासत के एक युग का अंत….4 बजे निकलेगी अंतिम यात्रा

जबलपुर के अपोलो हॉस्पिटल में आज सुबह ली अंतिम सांस

कटनी, यशभारत। कटनी शहर के लिए आज की सुबह दुख का पैगाम लेकर आई। राजनेता, संगीतकार और प्रतिष्ठित व्यवसाई सुनील रांधेलिया का आज दुखद निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कुछ समय पहले डॉ चांडक के अस्पताल में इलाजरत रहने के बाद उन्हें नाजुक स्थिति में जबलपुर के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत पिछले कई दिनों से स्थित बनी हुई थी। आज सुबह उन्होंने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली। सुनील रांधेलिया के निधन के साथ कटनी में सियासत और संगीत के एक युग का अवसान हो गया। निधन की खबर मिलते ही शहर के व्यावसायिक, राजनीतिक और कलाकार जगत में शोक व्याप्त हो गया। शोक संवेदना व्यक्त करने उनके कुठला और झंडाबाजार स्थित निवास पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।

पारिवारिक सूत्रों की मुताबिक पिछले काफी समय से उनकी तबियत नासाज चल रही थी। इलाज के सिलसिले में कई बार उन्हें नागपुर और दिल्ली भी ले जाया गया। कई बार उन्हें आराम भी लग जाता और स्वस्थ होकर वे फिर से अपने काम में जुट जाते थे। इस बार शायद ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। पिछले माह जबलपुर में इलाजरत रहने के बाद उन्हें कटनी स्थित डॉ चांडक के अस्पताल में एडमिट कराया गया था। उनकी हालत में ज्यादा सुधार न होता देख उन्हें जबलपुर के अपोलो ले जाया गया। उनकी हालत में खास सुधार नहीं हुआ और अंततः आज सुबह उन्होंने दुनियां को अलविदा कह दिया। वे अपने पीछे पत्नी सुधा, दो पुत्रियों स्वर्णिमा और सौम्या तथा पुत्र संभव का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। निधन की खबर मिलते ही लोग स्तब्ध रह गए।

अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाले उम्दा कलाकार थे सुनील भैया

सन 1980 से वर्ष 2000 तक दो दशक की यात्रा में सुनील रांधेलिया कटनी की सियासत का बड़ा चेहरा थे। वे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और सुरेन्द्र सिंह ठाकुर, माधवराव सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे नेताओं के बेहद करीब थे। अनेक राजनेताओं से उनके करीब के रिश्ते थे। लंबे समय तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद अचानक उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने पुत्र संभव के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे…

सुनील रांधेलिया ने सारा जीवन एक तरह से संगीत को समर्पित कर दिया। जितने उम्दा वे कलाकार थे, उतने ही जिंदादिल इंसान। कला और कलाकार दोनों की परख उन्हें थे। जनाब हिफ्जुल कबीर साहब को वे अपना गुरु मानते थे। आर्केस्ट्रा स्वीट सॉन्ग मेकर्स और साधु मंडली के माध्यम से उन्होंने कटनी में आर्केस्ट्रा के नए युग का सूत्रपात किया। अनेक कलाकार उन्होंने तैयार किए। मुंबई के बड़े कलाकारों के शो भी उन्होंने कटनी में आयोजित किए। आज उनके विछोह से कटनी का संगीत जगत भी सूना हो गया। उनकी हर साज पर गजब की पकड़ थी।

राज पैलेस और सिटी टीवी नेटवर्क उनकी रुचि का विषय

कटनी में उस दौर में उन्होंने राज पैलेस जैसी आलीशान होटल की सौगात दी, जब बड़े आयोजनों के लिए सुंदर परिसर की दरकार थी। राजस्थान के कलाकारों को बुलाकर उन्होंने अपने सपनों का आशियाना गढ़ा। उनकी रुचि समाचार और कला जगत में थी। इसलिए उन्होंने सिटी टेलीविजन नेटवर्क की स्थापना की। पेट्रोल पंप के व्यवसाय में भी उन्होंने बेहतर मुकाम हासिल किया। आज वे हम सबको बहुत सारी सुनहरी यादें देकर जा रहे हैं। एक उम्दा कलाकार, जिंदादिल इंसान, प्रभावी व्यक्तित्व, यारों के यार, जरूरतमंदों के मददगार और जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने वाले एक शानदार व्यक्ति के रूप में सुनील भैया हमेशा याद आएंगे।

बड़े शौक से सुन रहा था ये जमाना, तुम्ही सो गए दास्तां कहते कहते….

– आशीष सोनी
– समूह संपादक, यशभारतFB IMG 1760503248984

FB IMG 1760503254588 FB IMG 1760503266469 FB IMG 1760503236631

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button