फसलों में पाला पड़ने की संभावना, किसानों की बढ़ी चिंता : कृषि वैज्ञानिक दे रहे फसल सुरक्षा की सलाह

सिवनी यश भारत:-मौसम हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण किसान परेशान हैं। और फसलों में पाला पड़ने की संभावना भी किसानों की चिंता बढ़ा रही है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी व प्रमुख डा. शेखर सिंह बघेल ने बताया की हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए तथा आसमान साफ रहे या आधी रात में हवा रूक जाए तो पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। रात के तीसरे व चौथे प्रहर में पाला की अधिक संभावना रहती है। इसलिए किसानों को रबी फसलों को पाला से बचाव करने सलाह दी जा रही है। यह भी बताया कि रबी फसल को शीतलहर पाले से नुकसान होता है। जब तापक्रम 5 डिग्री सेल्सियस से कम होने लगता है तब पाला पड़ने की पूर्ण संभावना रहती है। तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये यदि शीतलहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परंतु इस बीच हवा चलना रुक जाए तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़तने से फसलों को न ज्यादा नुकसान होता है।
पाला से पौधों को क्षतिः-
पाले से प्रभावित पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित पानी सर्वप्रथम अंतर कोशिकीय स्थान पर इकट्ठा हो जाता है। इस तरह कोशिकाओं में निर्जलीकरण की अवस्था बनती है। अंतर कोशिकीय स्थान में एकत्र जल जमकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिससे इसके आयतन बढ़ने से आसपास की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है। यह दबाव अधिक होने पर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इससे कोमल टहनियां नष्ट हो जाती हैं।
बचाव की दी सलाह:-कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डा. शेखर सिंह बघेल, डा. के.के. देशमुख व डा. निखिल सिंह ने बताया कि शीत लहर व पाले से फसलों को बचाने खेतों में सिंचाई जरूरी है। जब भी पाला गिरने की संभावना हो या मौसम विभाग से पूर्वानुमान चेतावनी मिले फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस पाले से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0.5, 0.2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती हैं। नर्सरी में पौधों को पाले से बचाने रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने दें। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है।
खेत के पास धुआं करेंः फसल को पाले से बचाने खेत में किसानों को धुआं करना चाहिए, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और हानि से बचा जा सकता है। पाला पड़ने की संभावना पर फसलों में गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए।