प्रदेश भर मे चल रही आउटसोर्सिंग भर्तियों की संवैधानिकता को चुनौती

जबलपुर – सामान्यत कर्मचारियों की सेवा शर्तें एवं नियोजन की प्रक्रिया से संबंधित नियम बनाने का कार्य सामान्य प्रशासन विभाग का होता है लेकिन शासन के वित्त विभाग द्वारा मध्य प्रदेश भंडारण क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 में दिनांक 31/03/2022 के संशोधन कर भाग दो जोड़कर नियम 32 में सेवा का उपार्जन से संबंधित नियम जोड़कर संशोधन किया गया जिसमें वस्तु की तरह श्रमिको को प्राइवेट एजेंसियो के माध्यम से श्रम करने हेतु खरीदा जाएगा | श्रमिकों को खरीदने तथा उन्हे सरकारी विभागो मे नियोजित करने का न्या नाम ‘आउटसोर्सिंग’ दिया गया है उक्त समवंध में मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग (फायनेंस डिपरमेंट) द्वारा अधिसूचना क्र F-11-/2023/नियम/चार, भोपाल दिनांक 31/3/2023 को, शासन के समस्त विभागों को जारी कर निर्देशित किया गया कि विशिष्ट कार्यों हेतु चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की सेवाएं आउटसोर्स एजेंसीयों के माध्यम से चिन्हित पद हेतु क्रय की जा सकेगी | उक्त अधिसूचना की संवैधानिकता को अजाक्स संघ द्वारा ठाकुर ला एसोसिएट के माध्यम से जनहित याचिका कर्मांक WP/15917/2025 दायर कर चुनौती दी गई है | उक्त याचिका की सुनवाई दिनांक 05/05/2025 को नियत की गई है |
शासन की उपरोक्त अवैधानिकता के संबंध में अजाक्स संघ द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर मांग की गई है, कि शासन के समस्त विभागों में कर्मचारियों का स्वीकृत सेटअप है निर्धारित वेतन तथा आरक्षण है लेकिन शासन के वित्त/विभाग द्वारा जारी अधिसूचना संवैधानिक प्रावधानों/श्रमिक विधियों/आरक्षण कानूनो के विरुद्ध है | आउटसोर्सिंग पर नियोजित किए गए कर्मचारियों को संबंधित एजेंसियों द्वारा अपनी मनमर्जी के मुताबिक वेतन देते हैं और एजेंसियों की जब भी मर्जी होती है तो संबंधित कर्मचारियों को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया जाता है तत्सम मन में उक्त कर्मचारियों को किसी भी कानून के तहत कोई उपचार प्रदान नहीं है, जबकि लोकतांत्रिक देश में नियत की गई आउटसोर्सिंग पद्धति ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसी बुराइयों को जन्म दे रही है साथ ही पढ़े लिखे शिक्षित युवा बेरोजगारों का संबंध आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा एक्सप्लोइटेशन भी किया जा रहा है !