पार्षदों की कम संख्या :कांग्रेस के लिए चिंता और चिंतन का विषय भी है निगम चुनाव……

जबलपुर,यशभारत। हाल ही में संपन्न हुए नगर निगम के चुनाव में एक और जहां महापौर की शानदार जीत से कांग्रेस में नई ऊर्जा का संचार हुआ है ,वहीं दूसरी तरफ जीत कर आए कांग्रेसी पार्षदों की कम संख्या ने कांग्रेस को चिंता और चिंतन करने के लिए मजबूर कर दिया है । यदि जबलपुर नगर निगम की बात की जाए तो शहर के 4 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेसी पार्षदों की संख्या 26 पर ही सिमट गई है जोकि पिछली नगर निगम चुनाव चुनाव से भी कम है । यदि विधान सभावार आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जहां कांग्रेस कि 3 विधायक हैं उन क्षेत्रों में भी कांग्रेस पिछड़ गई है ।
महापौर का चुनाव जीतने वाले जगत बहादुर सिंह अन्नू को सबसे अच्छी लीड पूर्व विधानसभा से मिली है यहां कुल 21 वार्ड हैं जिनमें से केवल 7 वार्डों मैं कांग्रेसी पार्षद चुनकर आए हैं । इस विधानसभा में जहां पार्षदों के मामले में भाजपा आगे हैं तो दूसरी तरफ पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आई एम आई एम के दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है इसके अलावा दो निर्दलीय यहां से चुनाव जीते हैं ।
आई एम आई एम की दस्तक को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है और राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि अगले विधानसभा चुनाव में पूर्व विधानसभा से आई एम आई एम का प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर गया तो कांग्रेस की राह आसान नहीं रह जाएगी । वैसे भी नगर निगम चुनावों को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है । अब यदि मध्य विधानसभा की बात की जाए तो यहां पर कुल 20 वार्ड हैं ,जिसमें से कांग्रेस कि हाथ कुल जमा 7 वार्ड आए हैं ।
जबकि इस विधानसभा में भाजपा के 11 और दो निर्दलीय जीते हैं । यहां पर भी भाजपा की स्थिति कांग्रेस बेहतर रही है । ऐसा ही कुछ हाल पश्चिम विधानसभा का भी रहा है यहां की कुल 18 वार्डोंं में से कांग्रेस की 8 और भाजपा की 10 सीटें आई हैं । यहां पर भी पार्षदों के मामले में कांग्रेस भाजपा से पीछे रह गई । कांग्रेस की सबसे बुरी हार कैंट विधानसभा क्षेत्र में हुई है जहां के 11 वार्डों में से एक भी वार्ड कांग्रेस के हाथ नहीं आया ।
यहां पर भाजपा के 9 उम्मीदवारों ने एकतरफा जीत हासिल की। वहीं दो निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव जीते हैं । अब यह अलग बात है कि निर्दलीय चुनाव जीतने वालों में से एक कांग्रेस का बागी है तो दूसरा भाजपा का । कुल मिलाकर शहर की चारों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पार्षदों के मामले में भाजपा से पीछे रही जो चिंता का विषय है इसको लेकर कांग्रेस को गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है कि जब हम महापौर को जिताने में सफल रहे तो क्या खामियां रह गई जिसके कारण हम उतने पार्षद नहीं जिता पाए जितने की उम्मीद की थी ।
नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के बाद अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही 2023 मैं होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गए हैं । रणनीतिकार अभी से चुनावी बिसात बिछाकर कवायद में जुट गए हैं । इस लिहाज से नगर निगम चुनावों के नतीजे काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं । शहर की जिन तीन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेसी पार्षदों की संख्या कम रही है ।
यहां कांग्रेस के विधायक हैं जिनमें से दो तो कांग्रेस सरकार के सामय कैबिनेट मंत्री ही रह चुके है ऐसे में रिकॉर्ड पार्षद जीतने वाली भाजपा भी खुश और उत्साहित है । अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में मंथन और चिंतन के बाद क्या स्थिति बनती है अभी तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही नगर निगम के अलावा जिला पंचायत और जनपद पंचायत में कबजे को लेकर गुणा- भाग में जुटी हैं।