पात्रता परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति कोर्ट के निर्णायाधीन प्रारंभिक सुनवाई में शासन से जवाब मांगा

जबलपुर । मप्र उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने बायलॉजी विषय के चयनित उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए आदिमजाति कल्याण विभाग के कमिश्नर (डीपीआई) को कारण बताओं नोटिस जारी करने के आदेश दिया है साथ ही समस्त नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से रामेश्वर सिंह ठाकुर और अंजनी कोरे ने पैरवी कर अदालत को बताया कि वर्ष २०१८ मे शिक्षक पात्रता परीक्षा के बाद एनसीटीई के नियमो के विरुद्ध नियम बनाकर सम्वधित विषय मे द्वितीय श्रेणी मे उत्तीर्ण होने का नियम बनाया गया जबकि आदिम जाति कल्याण विभाग एवं एनसीटीई के नियम स्पष्ट है की २००७ के रेगुलशन के तहत अभ्यर्थी को बीएड डिग्री तथा सम्वधित विषय मे उत्तीर्ण होना चाहिए! याचिका कर्ता प्रदीप अहिरवार द्वारा २००० मे बायो विषय मे एमएससी ४६ प्रतिशत के साथ उत्तरीन की तथा २००७ मे बीएड पास की एवं २०१८ की पात्रता परीक्षा उत्तीर्णकी गई जिसे उच्च शिक्षक विज्ञान विषय मे चयनित किया गया चयन उपरांत डीपीआई द्वारा याचिका कर्ता की नियुक्ति यह कहते हुए निरस्त कर दें गईं की याचिका कर्ता सम्वधित विषय मे द्वितीय श्रेणी मे उत्तीर्ण नहीं है! ट्रायबल कमिश्नर के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिस पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग कमिश्नर डीपीआई कमिश्नर ट्रायवल को कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश जारी किया गया एवं विज्ञानं विषय की समस्त नियुक्तियों नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णयाधीन कर दिया। याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं अंजनी कोरे ने पैरवी की!