जबलपुरमध्य प्रदेश

पटवारी-एमपीईबी कर्मियों की हड़ताल: पटवारियों ने रखा बस्ता, एमपीईबी कर्मियों ने नहीं पहने दस्ताने

जबलपुर, यशभारत। मध्यप्रदेश के समस्त जिलों में पटवारी और एमपीईबी कर्मचारियों ने हड़ताल का शंखनाद कर दिया है। 3 सूत्रीय मांगों को लेकर जहां पटवारियों ने अपना बस्ता नहीं उठाया तो वहीं एमपीईबी कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में कामों को बहिष्कार किया।

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आय-जाति के सर्टिफिकेट और जमीन की नक्शा-खसरा रिपोर्ट नहीं बनाएंगे
3 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे जबलपुर समेत प्रदेश के 19 हजार से अधिक पटवारी आज से कलमबंद हड़ताल पर चले गए हैं। तीन दिन के सामूहिक अवकाश, भू-अभिलेख के सिवाय अन्य कार्य नहीं करने और वेब त्रढ्ढस् सहित सभी आॅनलाइन कामों का बहिष्कार करने के बावजूद सरकार से उनकी चर्चा बेनतीजा रही है। इस कारण अब वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर यले गए हैं। आज वे कोई काम नहीं करेंगे। पटवारियों ने अपना आंदोलन 25 जून से तेज कर दिया था। वे चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। बावजूद सरकार और संगठन के बीच मांगों को लेकर कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई। इस कारण अब पटवारी आर-पार की लड़ाई करने के मूड में आ गए हैं।
इन कामों पर असर
आय-जाति के सर्टिफिकेट, जमीन का नक्शा व खसरा रिपोर्ट, बाढ राहत, अन्न उत्सव, विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को लाभ देने आदि।
सरकार ने चर्चा नहीं की, न ही प्रोत्साहित किया
मप्र पटवारी संघ के प्रांताध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि मांगों के संबंध में सरकार और संगठन के बीच चर्चा की जा रही है, लेकिन अब तक सार्थक परिणाम नहीं निकला है। सरकार ने सार्थक रूप से चर्चा नहीं की।
ये हैं पटवारियों की मांगें
पटवारियों का ग्रेड पे 2800 करते हुए समय मान वेतनमान विसंगति को दूर किया जाए।
गृह जिले में पदस्थापना हो। वर्तमान में कई पटवारियों को गृह जिले से सैकड़ों किलोमीटर दूर पदस्थ कर दिया गया है।
नवीन पटवारियों की ष्टक्कष्टञ्ज की अनिवार्यता संबंधी नियम समाप्त किया जाए।

निजी करण व विद्युत संशोधन बिल का विरोध, बिजली कर्मियों की हड़ताल
जबलपुर,यशभारत। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आॅफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर यूनाइटेड फोरम के तत्वावधान में सभी बिजली अधिकारी और कर्मचारी आज एक दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। सोमवार-मंगलवार को रात 12 बजे से सभी ने अपने मोबाइल बंद कर लिए हैं। यह मोबाइल 24 घंटे तक बंद रहेंगे। आज किसी भी तरह का कार्य नहीं करेंगे। यदि उपभोक्ता की बिजली गुल हो जाती है तो उस समस्या को भी सुधारने कोई कर्मचारी नहीं आएगा। यदि फाल्ट से बिजली गुल होती है तो उसे सुधार नहीं जाएगा। 11 अगस्त को ही समस्या सुनी जाएगी। स्टाफ सब स्टेशन पर मौजूद रहेगा, लेकिन सब स्टेशन पर फाल्ट आ गया तो उसे सुधार नहीं जाएगा।यह हड़ताल रात 12 बजे तक जारी रहेगी। हड़ताल से अस्पताल, पानी सप्लाई व बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बाहर रखा गया है। यहां की सप्लाई को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

इस हड़ताल के माध्यम से बिजली कंपनी के निजीकरण व विद्युत संशोधन बिल का विरोध किया जा रहा है । यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के दुर्गेश पाराशर ने बताया कि विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए लाए गए विद्युत सुधार अधिनियम 2021 को लागू करने के विरोध में संगठन ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया है जिसके तहत मंगलवार को संपूर्ण बहिष्कार 24 से 28 अगस्त तक 3 दिन से काम बंद हड़ताल और मांगें नहीं माने जाने पर 7 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी । इस अवसर पर संगठन के संयोजक नीलाभ श्रीवास्तव ने कहा कि विद्युत क्षेत्र में कर्मचारी की संख्या लगातार घट रही है वहीं नई भर्तियां नहीं होने से कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ गया है इसके बावजूद प्रदेश शासन संविदा कर्मियों की नियमित नहीं कर रही है उन्होंने कहा कि विद्युत क्षेत्र में ज्यादातर काम आउटसोर्सिंग के माध्यम से किए जा रहे हैं लिहाजा आउटसोर्सिंग कर्मियों की सेवाओं को सुरक्षित किया जाना जरूरी हो गया है इस मौके पर यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज के आर एस परिहार, एस के पचौरी ने भी बताया कियूनाइटेड फोरम की मांग है कि विद्युत कंपनियों का निजीकरण न किया जाये।

ट्रांसमिशन कंपनी में लाई जा रही टीबीसीबी को रद्द किया जाये। संविदा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नियमित किया जाये। आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन किया जाये। सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मुख्यमंत्री कोविड-19 कल्याण योजना में शामिल किया जाये.।। विद्युत संशोधनबिल के विरोध और अपनी 15 सूत्रीय मांगों के समर्थन में 2 से 5 अगस्त तक विधुत कर्मी यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉयीज एंड इंजीनियर्स के द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के तहत काली पट्टी लगा कर विरोध दर्ज करा चुके हैं। अभियंता संघ के वीकेएस परिहार के मुताबिक अपनी मांगों की उपेक्षा से बिजली कर्मियों में आक्रोश गहराता जा रहा है। इसी के चलते बिजली अधिकारी व कर्मचारियों ने आज 10 अगस्त को एक दिवसीय, 24 अगस्त से 26 अगस्त तक तीन दिवसीय और 6 सितंबर से अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया है। यह हड़ताल केंद्र सरकार के द्वारा लाये जा रहे इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध में की जा रही है। जिसमें मुख्यालय जबलपुर समेत प्रदेश भर के लगभग 15 हजार बिजली कर्मी हड़ताल कर रहे हैं।

बिजली कर्मियों की प्रमुख मांगें-
केंद्र सरकार वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए प्रस्तावित विद्युत सुधार अधिनियम-21 लागू न करे।
सभी वर्गों के संविदा विद्युत कर्मियों को आंध्र और बिहार की तरह नियमिय किया जाए।
ठेका कर्मियों की सेवा सुरक्षित रखते हुए तेलंगाना/दिल्ली व हिमाचल प्रदेश की तरह भर्ती की जाए।
विद्युत कंपनी के सभी अधिकारी कर्मचारियो को फ्रंट लाइन कर्मचारियों की श्रेणी में रखकर मुख्यमंत्री कोविड-19 का लाभ दिया जाए।
रिटायर होने के बाद लंबित ग्रेच्युटी, जीपीएफ, अवकाश नकदीकरण,पेंशन आदि वर्षों से लंबित देय भुगतान तत्काल किया जाए।
विद्युत कंपनियों में वरिष्ठता और उच्चवेतनमान के आधार पर सभी वर्गों में रिक्त उच्च पदों के चालू प्रभार प्रदान किए जाएं और रिक्त पदों को भरा जाए।
मध्य प्रदेश शासन के नियमानुसार सभी प्रकार के मृत्यु प्रकरणों में विद्युत अधिकारी-कर्मचारयों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
राष्ट्रीय पेंशन योजना में शासकीय अंशदान वेतन और मंहगाई भत्ते का 14 प्रतिशत किया जाए।

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