मध्य प्रदेश

नवंबर में भाजपा को मिल जायेंगे नए मंडल और जिलाध्यक्ष, नियुक्तियों में न दबाव चलेगा और न ही सिफारिश

कटनी। भाजपा ने अपने आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के संगठन चुनाव को लेकर जो तारीखें सामने आ रही हैं, उसके अनुसार नवम्बर माह में पार्टी को मंडल अध्यक्ष मिल जाएंगे। तब तक पुराने अध्यक्ष ही कार्य करते रहेंगे। संगठन ने चुनाव को लेकर पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि पदाधिकारियों की नियक्ति ने न दबाव चलेगा और न ही सिफारिश। मंडल अध्यक्ष हो या जिलाध्यक्ष उनकी नियुक्ति परफॉर्मेंस के आधार पर होगी। दरअसल, पहले कोरोना संक्रमण फिर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के चलते भाजपा संगठन के चुनाव पिछले साढ़े चार साल से नहीं हो पाए थे। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव कराने की समय सीमा तय कर दी है।

चुनाव की तिथि लगभग तय …

जानकारी के मुताबिक संगठन की तरफ से फिलहाल चुनाव की जो तारीखें आई हैं, उसमें 1 नवम्बर से 15 नवम्बर तक मंडल अध्यक्षों का चुनाव होना है और इसके बाद 16 नवम्बर से 30 नवम्बर तक जिलाध्यक्षों के चुनाव भी करवा लिए जाएंगे। दिसम्बर माह में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी हो जाएगा। मप्र में भाजपा साढ़े चार साल बाद मंडल अध्यक्ष के चुनाव कराने जा रही है। पार्टी की तैयारी नवंबर में मंडल अध्यक्षों का चुनाव कराने की है। इसके बाद जिलाध्यक्षों का चुनाव होगा। पहले रायशुमारी से अध्यक्ष चुने जाने की मंशा है। सहमति न बनने पर ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाएंगे।

कटनी में अभी टीम वीडी का वर्चस्व

कटनी के भाजपा संगठन में पिछले कुछ सालों से प्रदेश भाजपा के मुखिया वीडी शर्मा का वर्चस्व है। यहां से सांसद रहने की वजह से ऊपर का और कोई बड़ा नेता उनके इलाके में हस्तक्षेप नहीं कर पा रहा। एक अरसे से वीडी और उनके खास सिपहसालारों की टीम ही संगठन को अपने हिसाब से हांक रही है। मौजूदा जिलाध्यक्ष भी वीडी की ही पसंद के हैं। कटनी के संगठन में अपना दबदबा बरकरार रखने सांसद ने अपनी पसंद के चेहरों को ही पदों से नवाजा। पार्टी में हर दायित्व भी इसी टीम को मिलते जा रहे हैं। अब जबकि नए चुनाव हो रहे हैं ऐसे में इस पूरे बनाव में बदलाव की उम्मीद की जा रही है। बहुत से वरिष्ठ नेता जो पार्टी से दूर हो चुके हैं उनको उम्मीद है कि संगठन चुनाव के बाद परिदृश्य बदलेगा। वैसे संगठन चुनाव के बाद वीडी हटते भी हैं तो कटनी में सांसद रहने की वजह से उनका प्रभाव बरकरार रह सकता है, ऐसे में वे अपनी पसंद को आगे बढ़ाते रहेंगे।

बूथों पर चुनाव की तैयारी

बताया गया है की बूथ अध्यक्ष का चयन और मंडल प्रतिनिधि चुनने के बाद बूथ अध्यक्ष और मंडल प्रतिनिधि ही मंडल अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इसके बाद जिलाध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। पार्टी ने सभी 64,871 बूथों पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। संगठन के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशन में समयावधि तय होती है। उसी आधार पर सदस्यता, सक्रिय सदस्यता और फिर निर्वाचन की प्रक्रिया होती है। यह सब केंद्रीय नेतृत्व ही तय करता है।IMG 20240902 134309 1

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