दावा था दूधिया रोशनी से जगमगाएगा शहर, एलइडी के फेर में जगह-जगह अंधेरा
जबलपुर, । स्मार्ट सिटी द्वारा गए जा रहे विकास व निर्माण कार्य जनता के लिए सुविधा कम समस्या ज्यादा खड़ी कर रहे है। जबलपुर स्मार्ट सिटी कंपनी के शहर में चल रहे 52 विकास व निर्माण प्रोजेक्ट में करीब 35 से ज्यादा प्रोजेक्ट जहां बीते पांच वर्ष बाद भी अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। वहीं जो पूरे हो चुके हैं उससे भी नागरिकों को लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। अब शहर को दूधिया रोशनी से रोशन करने के लिए लाए गए स्मार्ट एनर्जी प्रोजेक्ट को ही देख लेें।
स्मार्ट सिटी ने करीब 13 करोड़ रुपये खर्च कर शहर की 18 हजार स्ट्रीट पुरानी स्ट्रीट लाइट को बदलकर उसकी जगह एलइडी लाइट लगवा दी गई। इसके अलावा मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्ला, कालोनियों में नई 12 हजार नई एलइडी लगवाई। कुल मिलाकर शहर भर में 40 हजार से ज्यादा एलइडी लगवाई गई। दावा किया गया कि शहर दूधिया रोशनी से जगमगाएगा। लेकिन इनमें से अधिकांश एलइडी लगने के कुछ दिन बाद ही बंद हो गई। मौजूदा हालात ये है कि जहां पहले उजियारा था वहां एलइडी के फेर में अंधेरा छाया हुआ है। क्योंकि जल्दबाजी में बिजली के पोल में लगाई एलइडी के कनेक्शन ऐसे किए गए कि कई क्षेत्रों में दिन में भी एलइडी जल रही है। लगातार जलते रहने के कारण एलइडी खराब होकर बंद हो रही है।
अवार्ड से भी नवाजा गया स्मार्ट सिटी-
शहर में लगाई गई एलइडी प्रोजेक्ट भले ही सफल नहीं हो पा रहा। लेकिन स्मार्ट सिटी को इस प्रयोग के लिए स्मार्ट एनर्जी कैटेगरी अवार्ड से नवाजा गया है।
इन क्षेत्रों में लगाई एलइडी बंद, कई जगह लोगों ने बदलवाई-
शहर के इंदिरा मार्केट-कांचघर रोड, अधारताल, रामनगर, मिल्क स्कीम, लालमाटी, चांदमारी तलैया, सिद्धबाबा, महाराजपुर, रांझी बड़ापत्थर, गढ़ा पुरवा, दमोहनाका सहित अधिकांश गली-मोहल्लों की अधिकांश स्ट्रीट लाइट गलत कनेक्शन व मेंटनेंस के अभाव में बंद हो गई है। जिसके कारण नागरिकों को परेशानी हो रही है। लोग अंधेरे में आवागमन कर रहे हैं। कई जगह तो दिन में भी एलइडी रोशन हो रही है। कुछ लोगों ने बार-बार एलइडी बंद होने से तंग आकर इसे निकलवा कर नगर निगम से संपर्क कर पुरानी हेलोजन या टयूबलाइट लगवा ली है।
13 करोड़ का प्रोजेेक्ट, नहीं हो रहा मेंटनेंस-
स्मार्ट एनर्जी प्रोजेक्ट के तहत एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड से जबलपुर स्मार्ट सिटी ने अनुबंध किया गया है। 40 हजार एलइडी लाइट लगवाने के एवज में करीब 13 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। कहा गया था कि शुरूआती दौर में कंपनी एलइडी का मेंटनेंस करेगी इसके बाद स्मार्ट सिटी। लेकिन न तो कंपनी बंद हो चुकी एलइडी की सुध ले रही न स्मार्ट सिटी।
गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल-
शहर भर में आधुनिक तकनीक युक्त 110, 70 से 35 वाट क्षमता की नई एलइडी लगने के कुछ दिन बाद ही बंद हो जाने पर इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। जिन क्षेत्रों में नई एलइडी बंद हो गई वहां के नागरिक स्मार्ट सिटी को कोस रहे हैं। उनका कहना है कि इससे अच्छा तो पुरानी हेलोजन व ट्यूबलाइट ही थी जो हर मौसम चाहे धूप हो या बरसात दिन-रात जलने के बाद भी जल्दी खराब नहीं होती थी, होती भी थी। होती भी तो नगर निगम के कर्मचारी आकर बदल देते थे।