तांत्रिक मठ – गुप्त शक्ति पीठ हैं माता का यह मंदिर, 52वीं शक्तिपीठ की जाती है पूजा

जबलपुर, यशभारत। जगत स्वरूपा मां दुर्गा की नवरात्रि की शुरूआत गुरूवार से हो चुकी है। शहर में हर जगह माता की भक्ति की धूम है। देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की कतारें लग रहीं हैं। नवरात्रि में देवी दुर्गा के दर्शन और पूजन के लिए कई मंदिरों में हजारों भक्तों की भीड़ जुटेगी। शहर के ज्यादातर दुर्गा मंदिर इस समय चहल-पहल से भरे हुए हैं। दुर्गा मंदिरों की रौनक ही बदल गई है।
संस्कारधानी पहले से ही धार्मिक नगरी के रूप में भी जाना जाता रहा है। देवी के मंदिरों के लिए तो यह विशेष रूप से विख्यात है। यहां अनेक दुर्गा मंदिर हैं जोकि सिद्ध स्थान के रूप में जाने जाते हैं। इनमें तेवर का मंदिर, सिविक सेंटर का माता बगुलामुखी मंदिर भी शामिल हैं। इन सभी मंदिरों में आम दिनों में भी बड़ी संख्या में माता के भक्त दर्शन के लिए जुटते हैं। नवरात्रि के दिनों में तो यहां हजारों भक्त माता की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। माता बगुलामुखी का मंदिर अपने आप में अनूठा है। आसपास कहीं भी माता बगुलामुखी का ऐसा सिद्ध स्थान नहीं है इसलिए इस मंदिर भी भक्तों की खासी भीड़ जुटती है। दुश्मनों का नाश करने के लिए माता बगुलामुखी की आराधना की जाती है। इसी तरह भेड़ाघाट का चौंसठ योगिनी मंदिर भी अपनी अनूठी मूतिज़्यों के लिए जाना जाता है।

शहर के ऐसे ही अनूठे और सिद्ध मंदिरों में एक और मंदिर शुमार है जिसे बड़ी खेरमाई मंदिर के रूप में जाना जाता है। देवी का यह मंदिर सिद्धस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। मंदिर में देवी के दर्शन करने और पूजा करने यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं। पूरे महाकौशल क्षेत्र के देवी भक्त देवी के दर्शन और पूजन के लिए हर साल कई बार इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर में स्थापित दुर्गा प्रतिमा अनूठी है। विशेष बात तो ये है कि यह तांत्रिक मठ है।
आठ सौ वर्ष पूर्व के कल्चुरि क्षत्रिय राजाओं के शिलालेख के अनुसार बड़ी खेरमाई मंदिर गुप्त शक्तिपीठ के रूप में 52वीं शक्तिपीठ हैं। राजा मदन शाह ने 400 वर्ष पूर्व शिलाखंड के अग्रभाग पर प्रतिमा स्थापित की, उनके वाम भाग भैरव एवं दाहिने भाग में हनुमान जी हैं। तभी से बड़ी खेरमाई के रूप में पूजित हैं। आदिवासी एवं वैदिक परम्परा से पूजा की जाती है। 366 वर्ष से नवरात्र में यहां बड़ा मेला भरता है।, आदिवासी परम्परा से की जाती है पूजा