
ट्रेनों में अब यात्री लोकल और रीजनल डिश का आनंद ले सकेंगे। यानी गुजरात जाने वाली ट्रेन में फाफड़ा, ढोकला और महाराष्ट्र जाने वाली ट्रेनों में वड़ा पाव जैसे स्थानीय व्यंजन अब रेलवे के मेनू में शामिल होंगे। इसके साथ ही यात्रियों को डायबिटिक फूड, बेबी फूड, हेल्थ फूड के विकल्प भी दिए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने मंगलवार को इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) को अपनी फूड कैटरिंग सेवाओं में सुधार लाने और यात्रियों को अधिक विकल्प देने के उद्देश्य से अपने मेन्यू को बदलने की इजाजत दे दी।

रेलवे के इतिहास में पहली बार कस्टमाइज मेनू
यह रेलवे के इतिहास में पहली बार होगा। मंगलवार को जारी रेलवे बोर्ड के एक आदेश में कहा गया है कि ट्रेनों में खानपान सेवाओं में सुधार किया जा रहा है। इसी को आगे बढ़ाते हुए आईआरसीटीसी को मेनू को कस्टमाइज करने की इजाजत देने का फैसला लिया गया है। इससे यात्रियों की प्राथमिकताओं के आधार पर क्षेत्रीय व्यंजनों, मौसमी व्यंजनों, त्योहारों के खाने और अन्य खाद्य पदार्थों को अलग-अलग पसंद के अनुसार मेनू में शामिल किया जा सकेगा।
यात्री करते थे शिकायतें

अभी तक रेलवे बोर्ड खाने का मेनू तय करता था। रेलवे को महाराष्ट्र और पश्चिमी राज्यों से यात्रियों की शिकायतें आती थीं कि उन्हें क्षेत्रीय भोजन नहीं मिलता क्योंकि रेलवे के पास एक ही तरह के खाद्य और पेय पदार्थ हैं। आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन प्रीपेड ट्रेनों में कैटरिंग चार्ज किराए में शामिल है, उनके लिए मेन्यू आईआरसीटीसी द्वारा पहले से तय टैरिफ के भीतर तय किया जाएगा।
रेलवे की मंशा- क्वालिटी में सुधार हो
मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में एमआरपी पर मेनू में से कोई भी डिश चुनकर ऑर्डर देने (अ-ला-कार्टे भोजन ) और ब्रांडेड फूड आइटम्स की बिक्री की अनुमति होगी। इसका चार्ज आईआरसीटीसी द्वारा तय किया जाएगा। बोर्ड ने अपने आदेश में आईआरसीटीसी से मेनू तय करते समय उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि भोजन और सेवा की क्वालिटी और स्टैंडर्ड्स में सुधार हो और मात्रा में बार-बार कटौती न की जाए। साथ ही यात्रियों की शिकायतों से बचने के लिए गुणवत्ता बनाए रखे, घटिया ब्रांडों का उपयोग न करे आदि। इसने यह भी कहा कि मेनू को टैरिफ के अनुरूप होना चाहिए और मेनू यात्रियों की जानकारी के लिए पहले से तय किया जा सकता है।