जीवन-रेखा नर्मदा के तट पर बसे जबलपुर में पानी खरीदकर बुझानी पड़ रही प्यास

जबलपुर। भीषण गर्मी के दौर में शहर के ऊंचाई वाले इलाकों में पेयजल आपूर्ति ठप है। इस वजह से लोगों को बाजार से पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। उपनगरीय क्षेत्र गढ़ा में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है।यहां नगर निगम के नलों की टोंटी से सूं-सूं की आवाज तो आती है, किंतु जल के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं।ऐसे में सवाल उठने लगा है कि जब ईमानदरी से जलकर चुकाते हैं, तो जलापूर्ति में ईमानदारी क्यों नहीं बरती जा रही।इस वजह से महंगाई के इस कालखंड में जीवन-यापन की दूसरी वस्तुओं की तरह पानी तक खरीदकर पीने की मजबूरी सामने हैं।
मध्य प्रदेश की जीवन-रेखा नर्मदा के तट पर बसे जबलपुरवासियों को पेजयल के लिए दुकानों से पांच-पांच लीटर की बोतलें खरीदनी पड़ें, यह बेहद चिंताजनक हालत है। इससे भी बड़ा आश्चर्य तो यह कि यही पांच लीटर की बोतल कहीं से 50 रुपये में तो कहीं से 70 रुपये में क्रय करनी पड़ रही है। यह करदाता जनता के साथ जनसेवा में कमी के साथ-साथ कालाबाजारी की भी दोहरी मार है।
गर्मी की दस्तक के साथ ही त्राहि-त्राहि
शाहीनाका के समीप फूलसागर बस्ती के निवासियों ने अपनी व्यथा बयां करते हुए बताया कि पूर्व के वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष पेयजल की आपूति अधिक बाधित हुई है।टिकरा मोहल्ला में निस्तार का पानी तक नसीब नहीं हो रहा। इस वजह से लोग देवताल व तिलवाराघाट जाकर सुबह नहाने का रास्ता अपना रहे हैं।यहां पाइप लाइन ठीक होने के बाद पेयजल आपूर्ति की समस्या कुछ तो हल हुई, लेकिन पानी ठीक से आने का समय रात्रि तीन बजे जैसा कठिन हो गया। ऐसे में नींद तक पूरी नहीं हो पाती। लोग सुबह से पाने का पानी जुटाने में लग जाते हैं।इस तरह गर्मी की दस्तक के साथ मची त्राहि-त्राहि थमने का नाम नहीं ले रही है।
टूटी-फूटी पाइप लाइन से लीकेज के कारण नहीं आ रहा फोर्स
क्षेत्रवासियों ने बताया कि सड़क किनारे टूटी-फूटी पाइप लाइन की लीकेज के कारण पानी ऊपर की तरफ ठीक से प्रवाहित नहीं हो पाता। इसके अलावा टुल्लू पम्प लगाकर पानी खींचने वाले भी ऊपरी बस्ती के लोगों को पेयजल से वंचित करने का कारण बन रहे हैं।