जान हथेली पर लेकर हजारों बच्चे जाते है स्कूल, आखिर कब लगाए जाएंगे बसा गांव की रोड किनारे शोल्डर
- एक साल पहले हो चुका है ठेका, जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान, हो रहे है हादसे, 5 शैक्षणिक संस्थाओं के हजारों विद्यार्थी जाते है स्कूल , सड़क किनारे रोज हो रहे हादसे , फिर भी की जा रही अनदेखी


जबलपुर, यशभारत। जेडीए स्कीम नंबर 41 ओंकार प्रसाद तिवारी नगर से लगे बसा गांव को जोडऩे वाली सड़क कई जगह से जर्जर होने लगी है वहीं इस मार्ग के किनारे लगे शोल्डर उखडऩे के कारण बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। जो कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं । क्योंकि इस मार्ग से जहां अनेक कॉलोनियां जुड़ी हुई हैं, वहीं करीब 5 शैक्षणिक संस्थाओं का रास्ता भी यहीं से होकर गुजरता है। कॉलोनियों की बसाहट लगातार बढऩे से जहां दिन प्रति दिन आवागमन बढ़ता जा रहा है, वहीं कछपुरा, गोदाम से माल लोड-अनलोड करके बड़े-बड़े चौपहिया वाहन भी यहां से होते हुए पाटन की ओर जाते है। इसी दौरान विद्यार्थी भी साइकिलों और अन्य दोपहिया वाहनों से आवागमन करते हैं। लेकिन रोड की साइड में शोल्डर नहीं होने के कारण दस फीट चौड़ी सड़क के दोनों किनारों की मिट्टी निकलने से आए दिन वाहन सड़क से उतर कर सीधे खेत में समा जाते है। जिसके चलते कई लोग इस कारण से वाहन समेत गिर कर घायल भी हो चुके हैं।
भूलन, बसा गांव के आसपास विकास होने से सड़क निर्माण भी हुआ है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि सड़क चालीस फिट चौड़ी स्वीकृत हुई है, मगर ना जाने किन कारणों से इसे 10 फिट चौड़ी रोड में समेट दिया गया है। जिसके चलते शोल्डर ना होने से इस मार्ग में खेत होने के कारण वाहन सड़क से उतर कर सीधे खेत में घुस रहे हैं। ऐसे में किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बताया जाता है कि इस बारे में संबंधित विभाग को जानकारी होने के बाद भी अनदेखी की जा रही है। अधिकारी इस सड़क के किनारे शोल्डर लगाने को लेकर संजीदा नहीं है। जबकि पहले ही इस कार्य का ठेका हो चुका है। पर जिसे ठेका दिया गया है वह भी न जाने क्यों काम शुरू नहीं कर रहा हैं। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार जानकारी मिली है कि जिस ठेकेदार को सड़क निर्माण कर ठेका मिला है, उसके अभी तक पूर्व के भुगतान रुके हुए है। जिसके कारण ठेकेदार सड़क बनाने में रुचि नहीं ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि अब इस सड़क से रोजाना सुबह—शाम सैर करने युवा व बुजुर्गों के साथ ही जरूरतमंद नागरिकों की आवाजाही होती है। इस सड़क के गड्ढों के आस—पास गिट्टी व रेत जमा होने से रोज कोई न कोई फिसलकर गिरने से घायल भी होता रहता है। लेकिन लगता है संबंधित अधिकारी और विभाग किसी बड़े हादसे के इंतजार में हैं। जबकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हजारों नौनिहाल यहां से अपना भविष्य बनाने के लिए स्कूल आते-जाते हैं। जिसके चलते सड़क का निर्माण भी कराया गया था। शोल्डर भी लगाए गए। इसके बाद सिर्फ समय गुजरता गया, लेकिन इस सड़क का रखरखाव नहीं किया। परिणाम स्वरुप अब छोटे-छोटे हादसों के रुप में कई मामले सामने आ चुके हैं। जिम्मेदार अधिकारियों से अपेक्षा है कि कम से कम वे विद्यार्थियों की तकलीफों को देखते हुए जल्द से जल्द सड़क का चौड़ीकरण और नवीनीकरण कराएं। ताकि भविष्य में कोई बड़ी अनहोनी को ना होने पाए।