जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

जबलपुर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने राज्यपाल के ईसी मेम्बरों के निर्णय को औचित्यहीन बताया

डी कैटेगिरी में आने वाले नर्सिंग कॉलेजों को विवि ने दी संबंद्धता, मचा हड़कंप

WhatsApp Icon
Join Yashbharat App

जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने राज्यपाल के कार्यपरिषद सदस्यों ेंके निर्णयों को औचित्यहीन बताकर बवाल खड़ा कर दिया। दरअसल ईसी मेम्बरों ने डी कैटेगिरी में आने 25 नर्सिंंग कॉलेजों को संबंद्धता देने का विरोध कर आपत्ति दर्ज कराई जिस पर विवि ने इस निर्णय को औचित्यहीन बता दिया। विवि के इस बर्ताव के बाद कार्यपरिषद सदस्यों में रोष है उनका मानना है कि नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है इस लिहाज से उनको औचित्यहीन बताना राज्यपाल की नियुक्ति को कटघरे में खड़ा करना है।

मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद् के तीन सदस्यों ने सर्वसम्मति न होने के बाद भी कुछ कॉलेजों को संबद्धता देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 16 जनवरी को हुई बैठक में डी समूह के कॉलेजों को संबद्धता देने पर असहमति दी थी लेकिन विवि प्रबंधन द्वारा बैठक मिनट्स में न तो नोट आफ डीसेंट को शामिल किया गया, बल्कि बीती कुछ बैठकों में कोई विचार न किए जाने के बाद भी एफिडेविट लेकर डी समूह के कॉलेजों को संबद्धता दे दी गई। विवि द्वारा जारी मिनट्स के अनुसार डी समूह के 15 कॉलेजों को संबद्धता दी गई है जबकि 7 कॉलेजों को मान्य नहीं किया गया। कार्यपरिषद् सदस्य सुनील कुमार राठौर का कहना है कि डी समूह में शामिल कॉलेजों को तीन बार संबद्धता के लिए अमान्य किया जा चुका है।

विरोध प्रदर्शन करने से संबंद्धता मिल रही है
श्री राठौर का कहना है कि ईसी बैठक के मिनट्स जारी किए गए तो सदस्यों की असहमति को शामिल नहीं किया गया, बल्कि इसे सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय बता दिया गया। इन कॉलेजों ने समय पर संबद्धता नहीं ली। इनमें से कई के पास अस्पताल नहीं है, तो कई की इंस्पेक्शन रिपोर्ट में कमियाँ मिली हैं। जब इन कॉलेजों के पास संसाधन नहीं हैं तो ये बच्चों को पढ़ाएँगे कैसे। यही नहीं विवि का तर्क है कि छात्र हित में निर्णय लिया गया है मतलब विरोध प्रदर्शन करवाओ और संबंद्धता प्राप्त कर लो।

 

कार्यपरिषद बेठक के कार्यव्रत मेंकुलाधिपति के मनोनीत कार्यपरिषद सदस्यों के विरोध को विश्वविद्यालय के ज़िम्मेदार कुलसचिव द्वारा औचित्यहीन जेसे शब्दों का प्रयोग करना मनोनीत सदस्यों नही प्रदेश के महामहिम राज्यपाल का अपमान हे ओर महामहिम द्वारा मनोनीत सम्मन्नीय कार्यपरिषद सदस्यों के मत को बाइपास करना मेडिकल विश्वविद्यालय में किसी काले अध्याय से कम नही हे में माँग करता हूँ की कार्यव्रत में महामहिम राज्यपाल के मनोनीत सदस्यों के विरोध को अमान्य कर येसे शब्दों को अंकित करने वाले कुलसचिब को तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय से बर्खास्त करदेना चाहिए चुकी मेरे संज्ञान में येसे अनेक विषय हे जिसमें विश्वविद्यालय के कुलसचिव कार्यपरिषद सदस्योंके साथ समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को भी गुमराह करते हे। यदि विश्वविद्यालय छात्र हित में कार्य कर रहा तो रोज़ रिज़ल्ट में हो रही गलती से लेकर परीक्षा परिणाम में लेट लतीफ़ी करने वाले अयोग्य परीक्षा नियंत्रक को क्यू नही हटा रहा जिसके लिए माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ भी सख़्त बोल टिप्पीडी कर चुका हे

एड अनुराग नेमा
अधिवक्ता मध्यप्रदेश उच्चन्यायालय
जबलपुर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button