जबलपुर में होटलों में नहीं जलेंगे तंदूर:होटल संचालकों को 3 दिन का अल्टीमेटम, प्रदूषण फैलने का दिया तर्क

स्वाद के शौकीनों के लिए तंदूर की रोटी का स्वाद अब जल्द ही गुजरे जमाने की बात होने वाली है, क्योंकि प्रदूषण का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा में जलने वाले तंदूर बंद किए जाए। जिला प्रशासन के आदेश के बाद से होटल, ढाबा और रेस्टारेंट संचालकों के होश उड़ गए हैं। प्रशासन ने जिले में तेजी से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए यह कवायद अपनाई है। हालांकि जिला प्रशासन ने होटल संचालकों को ढाबे, होटल से तंदूर हटाने के लिए तीन दिन का समय दिया है। जिला प्रशासन का कहना है कि तंदूर से उड़ने वाले धुएं से प्रदूषण फैलता है। लिहाजा, इसे बंद किया जाए।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने शहर के 50 से अधिक होटलों, रेस्टारेंट और ढाबा मालिकों को नोटिस जारी कर लकड़ी और कोयला आधारित तंदूर का उपयोग बंद कर उन्हें इलेक्ट्रिक या एलपीजी का इस्तेमाल किए जाने के निर्देश दिए हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए होटल और रेस्टोरेंट में चलने वाले तंदूर की भट्टियों पर रोक लगाने का मन बनाया है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने शहर के 50 होटलों को नोटिस जारी कर तंदूर का कम से कम उपयोग करने और उसके बदले एलपीजी आधारित गैस का प्रयोग किए जाने के निर्देश दिए हैं।
जिला प्रशासन की माने तो तंदूर में इस्तेमाल होने वाले कोयला और लकड़ी के धुएं से प्रदूषण तो फैलता ही है। साथ ही, तंदूर की रोटियों मे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी ज्यादा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। लिहाजा, तंदूर के बजाय अब इलेक्ट्रिक या एलपीजी आधारित गैस का उपयोग किया जाना जरूरी है। खाद्य सुरक्षा विभाग के मुताबिक नियमों का पालन न करने वाले होटल और रेस्टोरेंट मालिकों पर 5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।