
जबलपुर, यशभारत। पैसों के लालच में निजी अस्पतालों की सारी संवदेनाएं समाप्त होती जा रही है। जिंदा व्यक्तियों को मारने का खेल बदसूरत जारी है। इसी एक बानगी पिछले दिनों गोलबाजार स्थित सुधा अस्पताल में देखने को मिली। यहां पर नरसिंहपुर जिले से एक मरीज हाथ का आॅपरेशन कराने पहुंचा था। अस्पताल प्रबंधन ने आॅपरेशन तो पूरी ईमानदारी से कर दिया है परंतु कोरोना मरीज बढ़ाने के चक्कर में प्रबंधन हाथ का आॅपरेशन करा चुकें व्यक्ति को मृत घोषित करने वाला था। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने योजना भी तैयार की परंतु ऐन मौके पर मरीज उठकर खड़ा हो गया। दरअसल मरीज को एक काली पानी से ढक दिया गया और उसे दफनाने के लिए तैयारी की जाने लगी लेकिन इसी बीच मरीज उठकर बैठ गया इसके बाद अस्पताल में हंगामा मच गया।
पढ़े पीड़ित की जुबानी
मैं नरसिंहपुर जिला निवासी दशरथ सिंह कुर्मी 3 मई को सुधा होस्पिटल जबलपुर में भर्ती हुआ था 05/ 05/2021 को होस्पिटल में मेरे हाथ का आॅपरेशन हुआ आॅपरेशन के तुरंत बाद उन लोगों ने मुझे काली पनी मै पैक करने लगे तो मुझे लगा कि ये लोग मुझे आॅपरेशन की बजह से पनी में ढक रहे है ये लोग आपस में बात कर रहे थे। तभी मुझे इन पर शक हुआ ये आपस में यह बात कर रहे थे की पंचनामे पर इसकी पत्नी के दस्कत् करवाये या नही तभी किसी ने बोला कि करवा लिए सर उसके बाद ये लोग आपस में बात करने लगे कि इसको जल्दी से पैक करो और दो चार घंटे यही पड़ा रहने दो ये भी बोल रहे थे कि इसका अच्छा पैसा बनेगा और सुबह इसको नगर पालिका बालो से फिकवा देंगे इसके बाद मैने उठने की कोशिस करने लगा तो बोलने लगे की ये बहुत पैर चला रहा है इसको जल्दी बांधो और ये लोग मुझे पकड़ने लगे तभी मै अचानक घबराकर उठा और ये बोला कि ये क्या कर रहे हो मुझे जिंदा मै मृत घोषित कर रहे हो और मै आॅपरेशन रूम से बाहर आ गया और रूम मै आकर मैने पूरी घटना अपनी पत्नी को बताई तभी मेरी पत्नी ने मेरे बेटे को कॉल किया और कुछ पहचान के लोगो को कॉल किया कि यहाँ से हमें जल्दी छुट्टी करवा कर ले चलो तभी मेरे जीजाजी ने मुझे जबलपुर के एक कार ड्राइवर का मोबाइल नंबर दिया और मैने उस ड्राइवर से मेरी पत्नी ने कॉल पर बात की और पूरी घटना बताई और वह ड्राइवर जल्दी ही हॉस्पिटल पहुँच गया ड्राइवर कि सहायता से मेरी पत्नी ने हॉस्पिटल मै स्टाफ से छुट्टी की माँग कि उसके बाद हॉस्पिटल बालो ने छुट्टी देने से मना कर दिया और बोलने लगे कि तुम्हे जहा जाना है वहाँ जाओ पर मरीज को कही नही जाने देंगे बहुत कोसिस के बाद छुट्टी देने के लिए तैयार हुए और 70000 कि माँग करने लगे तो हमने बोला कि इतने पैसे कैसे हुए तो फिर 50000 मांगने लगे तो हम उन्हें 40000 देने को तैयार हो गए और बो लोग भी मान गये उसके बाद हमने उनसे फाइल माँगी तो फाइल देने से मना करने लगे और हमारे सामने ही फाइल के पेज फाड़ने लगे और कुछ पेज फाड़ दिये हमने फाइल की मांग करने लगे उसके बाद भी उन्होंने हमे फाइल नही दी तो हम लोग वहाँ से आ गए और ऐशली हॉस्पिटल नरसिंहपुर मै भर्ती हो गये।