
जबलपुर, यशभारत। हैलो….आपका केवाईसी अपडेट करना है….यदि नहीं किया तो बैंक से खाता बंद कर दिया जाएगा। आपके पास एक ओटीपी आएगा, आप फौरन वह ओटीपी बताएं। इससे आपकी बैंकिंग आसान हो जाएगा…! थोड़ी देर में ओटीपी आता है और खाता धारक की रकम, खात से साफ हो चुकी होती है। जब पीडि़त के पास मैसेज आता है तब पता चलता है कि वह ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है। शहर से लेकर देहात थाना क्षेत्रों में ऐसी अनेकों वारदात हो चुकी हैं। इस ऑनलाइन फ्रॉड का मुख्य केन्द्र राजस्थान का भरतपुर जिला है। अभी तक हुईं धोखाधड़ी में सायबर पुलिस की जांच की लोकेशन भरतपुर आती है। लेकिन….आरोपी इतने शातिर है कि अपने अपराध का कोई सबूत तक नहीं छोड़ते। लेकिन बेजोड़ पुलिसिंग की दम पर जबलपुर पुलिस ने भरतपुर जिले से कुख्यात गैंग के आरोपी जावेद को दबोच लिया है। जिससे अब शहर के अनेक थानों की पुलिस पूछताछ कर रही है। आरोपी को 19 तक रिमांड पर ले लिया गया है। जिससे स्टेप टू स्टेप पूछताछ जारी है।
थाना प्रभारी प्रफुल्ल श्रीवास्तव ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि करीब तीन महिने पहले थाने में एक युवती ने शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि उसके नंबर पर कॉल आया और फिर जैसे ही उसने ओटीपी बताया उसके खाते से रकम उड़ गयी।
2 लाख की रकम किस्तों में उड़ गयी
पुलिस ने बताया कि पीडि़ता युवती ने बताया कि ओटीपी नंबर बताते हुए उसके खाते से किस्तों में करीब दो लाख रुपये की रकम उड़ गयी। जब मैसेज आया तब पता चला कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर, जांच शुरु की आरोपी पकड़ गया। मामले में नरेश सिंग राठौर एसआई सहित पूरी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
मुस्तैद टीम ने आरोपी को दबोचा
लंबी चली कार्रवाई के बाद पुलिस ने टीम गठित कर राजस्थान जिला भरतपुर भेजी। टीम पूरी इनवेस्टीगेशन के साथ भरतपुर पहुंची। जहां पता चला कि यहां तो पूरा का पूरा गिरोह ऑनलाइन फ्रॉड में लगा हुआ है। जिसके बाद देर ना करते हुए पुलिस ने मुख्य आरोपी जावेद उम्र 24 साल निवासी ग्राम जुरहा, को घेराबंदी कर दबोच लिया।
बचपन में ही सीख लिए थे गुर
पकड़े गए आरोपी जावेद ने बचपन में ही ऑनलाइन फ्रॉड के पूरे गुर सीख लिए थे और बाद में अपना बकायदा गिरोह बनाकर इस काम को अंजाम देने लगा। पुलिस ने बताया कि पकड़े गए आरोपी कि बिनाह पर गैंग के अन्य सदस्यों का पता लगाया जा रहा है। फिलहाल अन्य आरोपी फरार है।
धोखे में ना आएं, लोभ में ना फंसे
पकड़े गए आरोपी ने पुलिस को बताया है कि वह फोन लगाकर लोभ में पहले शिकार हो फांसते है। उनसे कहा जाता है कि आपका लकी नंबर है, कूपन निकला है। यदि पांच हजार ऑनलाइन जमा किए तो पांच लाख की फोर व्हीलर मिलेगी और पीडि़त जैसे ही ऑनलाइन पैसे भेजता है तो आरोपी झांसे में लेकर बाद में ओटीपी पूछकर रकम साफ कर देते है। इसी प्रकार बैंक की केवाईसी अपडेट कराने, बंपर ईनाम निकलने का भी लोभ देकर आरोपी इस तरह की वारदातों को अंजाम देकर लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे करते है। यदि कोई धोखे में ना आए और लोभ में ना फंसे तो इस तरह की वारदातों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
भरतपुर बना कुख्यात गैंगों का पनहगार
ऑनलाइन फ्राड की अनेक वारदातों में शक की सुई भरतपुर जा रही है। इसी से अंदाजा लगाना सहज है कि राजस्थान का भरतपुर जिला कुख्यात गैंगों का पनहगार बना हुआ है। जहां दस में से हर दूसरा युवक इस काम में लगा हुआ बताया जा रहा है। पकड़े गए आरोपी की मानें तो फ्राड से पैसे कमाना आसान होता है और सिम तोड़कर फेंकने से सबूत भी मिट जाते है।
सबूत की कडिय़ों जोड़कर किया भंडाफोड़
ऑनलाइन फ्राड केस में अक्सर आरोपी को दबोचना सहज नहीं है। सैकड़ों किलोमीटर दूर से फोन पर फ्रॉड कर, रकम हड़पने वालों को दबोचने के लिए पर्याप्त सबूत जुटाने पड़ते है। जिसके बाद ही पुलिस सुराग लगाकर आगे की कार्रवाई को अंजाम देती है। उक्त केस में जबलपुर की सायबर पुलिस ने सबूत की कडिय़ा जोड़कर इस पूरी प्रकरण का भंड़ाफोड़ करते हुए आरोपी को दबोच लिया।