जबलपुर के ग्वारीघाट को अब गौरीघाट के नाम से मिलेगी पहचानः साकेत धाम के संस्थापक स्वामी गिरिशानंद जी महाराज ने कलेक्टर के समक्ष रखा प्रस्ताव

जबलपुर, यशभारत। लंबे अरसे जिसे ग्वारीघाट के नाम से जबलपुर को जाना जाता था अब उसका नाम परिवर्तन की तैयारी हो रही है। इसके तहत साकेत धाम के संस्थापक स्वामी गिरिशानंद जी महाराज ने कलेक्टर के समक्ष प्रस्ताव रखा है। महाराज श्री ने कहा कि अब ग्वारीघाट को गौरीघाट के नाम से पहचान मिले। हालांकि कलेक्टर ने इस प्रस्ताव पर अगली बैठक में चर्चा करने की बात कही है।
कलेक्टर डाॅ. इलैयाराजा टी की अध्यक्षता में आज शनिवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित बैठक में नर्मदा नदी को प्रदूषण से मुक्त रखने के कार्यों में आम नागरिकों की सहभागिता अर्जित करने मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा संत-महात्माओं के मार्गदर्शन में स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। अभियान के तहत स्वच्छता के कार्यक्रमों के साथ-साथ, दीवार लेखन एवं साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
बैठक में मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डाॅ. जीतेन्द्र जामदार, विधायक अशोक रोहाणी, साकेत धाम के संस्थापक स्वामी गिरिशानंद जी महाराज, नगर निगम आयुक्त आशीष वशिष्ठ, जिला पंचायत की सीईओ डाॅ. सलोनी सिडाना, समाजसेवी कैलाश गुप्ता, स्मार्ट सिटी की सीईओ निधि सिंह राजपूत, मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के संभाग समन्वयक रवि बर्मन एवं जिला समन्वयक प्रदीप तिवारी मौजूद थे।
कलेक्टर डाॅ. इलैयाराजा टी ने कहा कि नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त रखने चिन्हित स्थानों पर समाज और शासन की सहभागिता से वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में जिला पंचायत की सीईओ तथा नगर निगम क्षेत्र में नगर निगम आयुक्त को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये हैं। बैठक में नर्मदा नदी के किनारे किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किये जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में कहा गया कि जैविक एवं प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जायेगा तथा उनके उत्पादों की ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग भी की जायेगी।
बैठक में कहा गया कि नर्मदा नदी के जिले में स्थित प्रमुख घाटों को साफ-सुथरा रखने नियमित तौर पर साफ-सफाई की जायेगी। घाटों पर पाॅलीथिन की थैलियों के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंधों का कड़ाई से पालन कराया जायेगा। इसके साथ ही नदी के दोनों ओर के तटों पर 300 मीटर के दायरे में सघन वृक्षारोपण किया जायेगा तथा नर्मदा तट पर खेती कर रहे किसानों को फलदार पौधे लगाने प्रोत्साहित किया जायेगा।
बैठक में नर्मदा नदी की सहायक नदियों का संरक्षण एवं संवर्धन करने का निर्णय लिया गया। नर्मदा नदी के परिक्रमा पथ पर पौधारोपण एवं परिक्रमावासियों के रुकने के लिए प्रत्येक 15 किलोमीटर पर सामुदायिक भवन के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करने की बात कही गई। बैठक में ग्वारीघाट में बन रहे प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिये गये। इसके साथ ही जिले में स्थित नर्मदा नदी के घाटों को धार्मिक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने तथा नर्मदा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रशासनिक अधिकारियों व धार्मिक और सामाजिक व्यक्तियों को सदस्य के तौर पर शामिल कर कोर ग्रुप के गठन करने पर भी विचार विमर्श किया गया।
बैठक में स्वामी गिरिशानंद जी महाराज के नर्मदा तट पर बसे ग्वारीघाट का नाम गौरीघाट रखने के सुझाव पर कलेक्टर ने जिला योजना समिति की आगामी बैठक में इस आशय का प्रस्ताव रखने की बात कही। बैठक में जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डाक्टर जितेंद्र जामदार ने कहा कि नर्मदा जी की निर्मलता एवं अविरल प्रवाह अत्यंत आवश्यक है और यह हम सभी के अस्तित्व से जुड़ा विषय है। इस पर मुख्यमंत्री जी ने हाल ही में आयोजित अमरकंटक में नर्मदा सेवा मिशन की मीटिंग में 21 विभागों की कार्य योजना एवं किये गए कार्यो के एक-एक विषय पर चर्चा की है। आगामी 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर वृहद कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही सीएसआर एवं अन्य सामाजिक सहयोग से नर्मदा की निर्मलता का अभियान चलाया जाएगा।
बैठक में विधायक अशोक रोहाणी ने ग्वारीघाट में सुगम आवागमन के लिए तिलहरी से भटौली रोड के चैड़ीकरण का सुझाव दिया। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. ने श्री रोहाणी के इस सुझाव पर नगर निगम को इसकी विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये।