जबलपुर का सबसे बड़ा आदि शंकराचार्य चौराहा सब्जी के ठेले, टपरों से घिरा
सौंदर्यीकरण के नाम पर अच्छी-खासी रकम खर्च की गई थी, अनदेखी के चलते बदसूरत हो गया चौराहा

जबलपुर, यशभारत। नगर निगम की अनदेखी के चलते शहर के चौराहे बद्सूरत हो गए हैं। शहर का सबसे बड़ा चौराहा कहे जाने वाला छोटीलाइन फाटक (अब आदि शंकराचार्य) चौराहा भी इससे अछूता नहीं रहा। चौराहा के आस-पास सहित ग्वारीघाट, गोरखपुर, महानद्दा की तरफ खोले गए लेफ्ट टर्न पर सब्जी, पान, चाय, चाट, फुल्की वालों ने अतिक्रमण कर लिया है। जिसके कारण यातायात तो बाधित हो ही रहा है चैराहें की सुंदरता भी खराब हो रही है। जबकि चैराहे के सौंदर्यीकरण के नाम पर नगर निगम और स्मार्ट सिटी तकरीबन एक करोड़ 74 लाख रुपये खर्च कर चुका है। दावा किया गया था कि शहर के सबसे बड़े आदि शंकराचार्य चैक को शहर का सबसे आकर्षक चौराहा बनाया जाएगा।
बगल में निगम का संभागीय कार्यालय फिर भी काबिज अतिक्रमण
हैरानी की बात है कि चौराहा पर ही नगर निगम का संभागीय कार्यालय है फिर भी चैराहा अतिक्रमण की चपेट में हैं। हाल ये है कि चैराहे और डिवाइडर के पास खड़े किए गए ठेले, टपरों के कारण शास्त्री ब्रिज से गोरखपुर मार्केट की तरफ जाने वाले वाहन चालकों को इनसे जूझ कर आगे बढ़ना पड़ रहा है। इसी तरह गोरखपुर से ग्वारीघाट नर्मदा रोड की तरफ जाने के लिए खोले गए लेफ्ट टर्न पर अतिक्रमणों की बाढ़ आ गई है। पूरे लेफ्ट टर्न पर सब्जी के ठेले खड़े किए जा रहे, दुकानें लगाई जा रही हैं। जिसके कारण कारण वाहन चालक मुख्य सड़क से आ-जा रहे हैं।
यातायात का दबाब बढ़ा, सारे दावे फेल
जिसे वाहन चालकों की परेशानी बढ़ गई है। मुख्य मार्ग होने के कारण शाम को यहां यातायात का दबाव इस कदर बढ़ जाता है कि जाम के हालात बन जाते हैं। जबकि नगर निगम का कहना था कि चैराहे को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि 20 वर्षों इसमें सुधार की गुजाइंश नहीं नही रहेगी। यातायात पानी की तरह बहेगा। एक साथ चार वाहन निकल सकेंगे, लेकिन हकीकत में चैराहा अतिक्रमणों से घिरा हुआ है।
सब्जी मार्केट चौराहा नाम रखना चाहिए था
नगर निगम ने छोटी लाइन फाटक का नाम 20 अप्रैल 2018 में बदलकर आदि शंकराचार्य चैराहा तो कर दिया। लेकिन नाम के अनुरूप चैराहा नजर नहीं आ रहा। लाखों रुपये खर्च कर रोटरी में जबलपुर की पहचान मदनमहल स्थित ऐतिहासिक बैलेंसिंग राक की कृति बनवाकर स्थापित की थी। विरोध के बाद इसे हटा दिया गया। ये मांग भी उठी कि चैराहे को आदि शंकराचार्य के नाम के अनुरूप विकसित किया जाए, लेकिन वक्त के साथ ये मांग दब कर रह गई। फिलहाल ये चैराहा सब्जी मार्केट नजर आ रहा है।