घर की खुशियाँ उजाड़ रहे यमदूत : नो ऐंट्री में ….ऐंन्ट्री से कुचले जा रहे राहगीर

जबलपुर, यशभारत। एक तरफ पुलिस के द्वारा दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट से लैस करने तमाम तरह के प्रयास किये जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ नो एन्ट्री के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले हाइवा और डम्पर नजर नहीं आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक जबलपुर में लगभग 11 हजार डम्पर और हाइवा चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश वाहनों में तो नंबर तक नहीं लिखे होते हैं। जिन वाहनों में नंबर होते भी हैं तो इतने छोटे आकार में लिखे होते हैं कि किसी को पता ही नहीं चल पाता। हकीकत तो यह है कि पुलिस और प्रशासनिक गाडिय़ों तक में बड़े और साफ सुथरे आकार में नंबर लिखे होते हैं मगर यमदूतों में नंबर लिखे हैं कि नहीं, यह देखने की जरूरत तक नहीं समझी जा रही है। बताया जाता है कि अस्पष्ट और छोटे अंकों में नंबर लिखवाने का एक बड़ा कारण हादसे के बाद अपनी पहचान छिपाना भी होता है। अधिकांश डम्पर और हाइवा का पता केवल इसी वजह से नहीं चल पाता है। सड़क पर निरीह लोगों की मौत के घाट उतारने के बाद ये भागने के साथ-साथ पहचान छिपाने में भी सफल हो जाते हैं।
कई परिवारों की खुशियां लील चुके हैं
बेलगाम भागते डम्पर और हाइवा कई परिवारों की खुशियां लील चुके हैं। अधिकांश हाइवा और डम्परों में रेत और गिट्टी लोड रहती है। ग्रामीण अंचलों से लेकर नेशनल हाइवे तक पर इनका बेजा आतंक बना रहता है। चौकाने वाली जानकारी के मुताबिक अधिकांश हादसे राष्ट्रीय राजमागोज़्ं पर हुए हैं जिनमें कई परिवारों की खुशियां उजड़ चुकी हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिये अभी तक किसी तरह की प्रभावी कारज़्वाई न की जाना संदेहास्पद माना जा रहा है।
नो एन्ट्री के बाद भी नहीं होती जांच पड़ताल
आम नागरिकों की गाडिय़ों में नंबर प्लेट है या नहीं है? यह देखने वाले पुलिस कमिज़्यों को डम्पर और हाइवा के नंबर नहीं दिखते। कोई जरूरी नहीं कि नो एन्ट्री खत्म होने चलने वाले डम्पर हाइवा नियम कायदों का पालन कर रहे हों। आदि शंकराचायज़् चौक से शहर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचने वाले डम्पर हाइवा बहुत तेज गति में होते हैं और बहुतों में नंबर नहीं लिखा होता है। चौकाने वाली बात यह है कि रात 10 बजे के बाद शहर में कहीं भी वाहन चैकिंग नहीं की जाती।
सैकड़ों की जान ले चुके यमदूत
डम्परों की नंबर प्लेट पर चालान नहीं काटता यहां तक कि नो एन्ट्री तक में ये यमदूत धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं मगर इनको पकडऩा तो दूर की बात है इनके पीछे नंबर तक डलवाने की जरूरत नहीं समझी जाती। यही कारण है कि ये बेखौफ होकर शहर में न केवल आतंक मचाते रहते हैं बल्कि आम लोगों की खून से अपनी प्यास भी बुझाते हैं। जबलपुर में अब तक सैकड़ों लोगों की जाने हाइवा और डम्पर ले चुके हैं. इसके बाद भी इनकी गति पर अंकुश नहीं लगाया जाना कई मायनों में बेहद संदेहास्पद माना जा रहा है।
अवैध खनन में इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक अधिकांश हाइवा अवैध खनन में लगाये गये हैं। इनके मालिक या तो रसूखदार हैं या फिर राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखने वाले होते हैं। पिछले कुछ सालों में पुलिस और खनिज विभाग की तरफ से कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में डम्पर और हाइवा बरामद किये गये हैं मगर बाद में ये फिर से सड़कों पर मौत का ताण्डव मचाते देखे जाने लगते हैं। लिहाजा यमदूतों के खिलाफ होने वाली कार्रवाइयों से भी आम नागरिकों का भरोसा उठता जा रहा है।