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क्या नवरात्र में मिल पाएगा पदों का प्रसाद ? भाजपा और कांग्रेस की जिला टीमों का इंतजार

कटनी, यशभारत। नवरात्र के शुभ मुहुर्त में क्या भाजपा और कांग्रेस की जिला टीमें घोषित हो जाएंगी ? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है। भाजपा में जिलाध्यक्ष का निर्वाचन हुए लगभग चार माह का वक्त बीत चुका है, जबकि कांग्रेस में भी जिला शहर और ग्रामीण अध्यक्ष की नियुक्ति हुए एक माह हो चुका है, ऐसे में दोनों दलों में गठित होने वाली जिला कार्यकारिणी का इंतजार कार्यकर्ताओं को है। भाजपा में जिला पदाधिकारियों के चयन का सिस्टम ज्यादा जटिल है। कांग्रेस में सारी कवायद केवल अध्यक्ष पद तक सीमित रहती है। इसके बाद अध्यक्ष को खुली छूट होती है कि वे अपनी टीम के साथियों का चयन अपनी मर्जी से कर सकें। प्रदेश हाइकमान का दखल भी कभी कभार ही होता है।

प्रदेश में नगर निगम चुनाव को दो साल से कम समय बचा है, जबकि विधानसभा चुनाव को अभी तीन साल हैं। जाहिर हैं दोनों दलों के जिलाध्यक्षों से लेकर बनने वाली टीमों में शामिल होने जा रहे पदाधिकारी अब अगले विधानसभा चुनाव तक पावर में रहेंगे। इन्हीं के हाथ नगरीय निकाय चुनाव में टिकट वितरण के भी अधिकार होंगे, जबकि विधानसभा चुनाव में यही टीम अपनी पसंद हाइकमान को बताएगी। स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में दोनों ही दलों की जिला कार्यकारिणी में जगह पाने नेता जोर लगा रहे हैं। सत्ता में काबिज होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ताओं की भीड़ ज्यादा है। इसके अलावा सत्ताधारी दल के पदों पर हर कार्यकर्ता की लार टपक रही है, ऐसे में भाजपा की जिला कार्यकारिणी को लेकर कटनी से लेकर राजधानी भोपाल तक जमकर रस्साकसी चल रही है। बात कांग्रेस की करें तो राहुल गांधी जिस तरह से संगठन सृजन अभियान के साथ जमीनी स्तर पर पार्टी में कसावट ला रहे हैं, ऐसे में संगठन के पदों पर काबिज होने के लिए एक बार फिर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया है।

भाजपा की कार्यकारिणी उलझी

पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में रायशुमारी से लेकर नामों के चयन के लिए भोपाल में दो बैठकें होने तक की समूची प्रक्रिया के बावजूद कटनी की जिला कार्यकारिणी लटकी हुई है। प्रदेश के लगभग 20 से ज्यादा जिलों के पदाधिकारी घोषित हो चुके हैं, लेकिन कटनी के नामों पर सहमति नहीं बन पा रही। अब सवाल वही है कि नवरात्र के शुभ मुहुर्त में जिला पदाधिकारियों के नामों का ऐलान हो जायेगा या नहीं। सूत्र बताते हैं कि महामंत्री समेत कुछ अन्य पदों पर कटनी के विधायकों, सांसद, जिलाध्यक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण सूची रोक दी गई है। अपने पसंद के चेहरों के लिए हर विधायक का दबाव है, जबकि जिलाध्यक्ष भी अपनी पसंद की टीम चाहते हैं। सारा मसला अब प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री के जिम्मे छोड़ दिया गया है।

कांग्रेस में परखी जा रही सक्रियता

कांग्रेस में जिला शहर और ग्रामीण संगठनों के अध्यक्ष घोषित हुए एक माह बीत चुका है, ऐसे में दोनों अध्यक्ष अब अपनी टीमें बनाने की ओर बढ़ चुके हैं। हाइकमान के निर्देश हैं कि जल्दी ही सक्रिय लोगों के नाम भोपाल भेजे जाएं ताकि कार्यकारिणी की अनुशंसा की जा सके। सूत्र बताते हैं कि शहर अध्यक्ष अमित शुक्ला और ग्रामीण अध्यक्ष सौरभ सिंह पहले नेताओं की सक्रियता परख लेना चाहते हैं, उसके आधार पर ही कार्यकर्ताओं को पद दिए जाएंगे। भाजपा की तरह कांग्रेस में भी महामंत्री का पद अहम है। इस पद पर आने के लिए अनेक दावेदार हैं। शहर में क्षेत्र 45 वार्डों की सीमाओं का है जबकि ग्रामीण संगठन में साढ़े तीन विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा है। ऐसे में कार्यकारिणी बनाने की चुनौती शहर की तुलना में ग्रामीण में अधिक है। सभी विधानसभा क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देना होगा।

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