जबलपुरमध्य प्रदेश

क्या जीआईएफ बंद होगी या जायेगी निजी क्षेत्र में …?

धड़ाधड़ अधिकारी कर्मचारियों के तवादले ,अब अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी शुरू

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जबलपुर यशभारत।क्या भविष्य में जीआईएफ को बंद कर दिया जायेगा या निजी हाथों में उसे सौंप दिया जाएगा।इस आशंका का आधार है जीआईएफ में अधिकारियों और कर्मचारियों के होने वाले धड़ाधड़ तबादलों के साथ अगले सत्र के लिए कोई उत्पादन लक्ष्य न होना है।एक समय था जब निर्माणी में दो दर्जन से अधिक क्लास वन अधिकारी होते थे लेकिन अब वहां केवल सातअधिकारी हैं। एक महाप्रबंधक और एक संयुक्त महाप्रबंधक को छो? कर शेष कार्य प्रबंधक और सहायक कार्य प्रबंधक हैं। इसके बाद क्लास-2अधिकारी भी निर्धारित संख्या से कम हैं। इसी तरह जहां पहले कर्मचारियों की संख्या ढाई हजार होती थी वहां अब मात्र तीन सैकड़ा मुश्किल से होगी।अक्टूबर माह में करीब ढाई दर्जन औद्योगिक कर्मचारियों के साथ कई राजपत्रित अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।ताज्जुब यह भी है कि दूसरी निर्माणियों से जीआईएफ तबादले पर आने वालों के आवेदनों पर कोई विचार नहीं हो रहा है। उस पर अब जबरिया रिटायरमेंट आदि इन सब के चलते निर्माणी के शेष बचे कर्मचारियों में दहशत का माहौल है।हालत यह है कि सुबह ड्यूटी आने वाले कर्मचारी को यही चिंता रहती है कि उस पर तबादले या जबरिया सेवा निवृत्ति की तलवार न गिर जाए। इस संबंध में कोई भी अधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से कतरा रहा है।
*निगमीकरण के बाद हालत और खराब*
जीआईएफ की हालात निगमीकरण के बाद और खराब हो गई है।जीआईएफ को यंत्र इंडिया लिमिटेड में शामिल किया गया है।इस निगम में वे निर्माणियां शामिल की है जो सीधे रक्षा उत्पाद नहीं बनाती हैं।अपितु रक्षा उत्पादन करने वाली आयुध निर्माणियों के लिए जरूरत मंद सामग्रियों का निर्माण करती हैं।यानी वे सहायक उद्योग के रूप में मानी जाती है।1अक्टूबर2021को बने सात निगमों में यंत्र इंडिया लिमिटेड सहित सभी निगम घाटे में दर्शाया गया था।एक साल बाद सरकार ने आंकलन के बाद सभी निगमों को फायदे में बताया था।सिवाय यंत्र इंडिया लिमिटेड के।कहा जा रहा है कि यंत्र इंडिया लिमिटेड अब तक नहीं उबर पाया है।अब घाटे से उबारने के नाम पर वाई आई एल विभिन्न खर्चों में बिना आंकलन के अंधाधुंध कटौती की जा रही है। जिसमें शहर की जीआईएफ शामिल है.
*जीआईएफ की अनेक उपलब्धियाँ लेकिन फिर भी घाटा* व्हीएफजे में बनने वाले वाहनों के पुर्जों को ढालने के लिए स्थापित जीआईएफ ने अनेक बार अपने को आर्थिक संकट से उबारा है।बीते वर्षों में जीआईएफ को धनुष तोप के पुर्जों के साथ विभिन्न क्षमताओं के एरियल बमों की ढलाई व्हीएफजे में बनने वाले सुरंग रोधी वाहन का हल और सारंग तोप आदि सभी को तय मानक के तहत सफलता मिल चुकी है।बीते माहों में भी पुन: टी-90टेंक का स्पोरकेट व्हील फिटमेंट ट्राइल मे सफलता पूर्वक पास हो चुका है।लेकिन इसके बाद भी जीआईएफ को काम न मिलना और अधिकारियों कर्मचारियों को यहां वहां भेजना भी जीआईएफ के दुर्दशा की आशंका को बल प्रदान करता है।
*अब तबादलों के बाद जबरन सेवानिवृत्ति का दौर*
अभी तक तो जीआईएफ में बड़े अधिकारियों के साथ कर्मचारियों पर तबादलों की तलवार चल रही थी ।लेकिन अब उससे एक कदम आगे अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी शुरू हो गई है।इसका पहली गाज39साल का धनराज कोल पर गिरी ।जिसको दीर्घ अवकाश ,दुर्व्यवहार आदि का आरोप लगाते हुए गत11जनवरी को अनिवार्य सेवा निवृत्ति की चि_ी गेट पर ही थमा दी गई। यदि इसी प्रकार सब चलता रहा तो जीआईएफ का क्या होगा यह भविष्य ही बतायेगा।

इनका कहना है:
तबादले क्यों हो रहे रक्षा उत्पादन विभाग या यंत्र इंडिया लिमिटेड की क्या नीति है।यह संबंधित ही बता सकते हैं। मुझे नहीं मालूम मैं तो केवल ऊपर के आदेश का परिपालन कर रहा हूँ।
राजीव कुमार
महाप्रबंधक जीआईएफ
जबलपुर

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