केंद्र का राज्यों को निर्देश, भर्ती कोरोना मरीजों की परिजनों से वीडियो या ऑडियो कॉल का करें इंतजाम

नई दिल्ली
मरीज हॉस्पिटल या कोविड केयर सेंटर में एडमिट है और बाहर मरीजों के परिजन यह सोच सोचकर परेशान कि मरीज की हालत कैसी है। मरीज की स्थिति की जानकारी न मिलने की वजह से परिजनों की टेंशन बढ़ रही है। अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि वह मरीज की स्थिति के बारे में उनके अटेंडेंट को बताया जाए।
वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल का हो इंतजाम
हेल्थ मिनिस्ट्री के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने कहा कि राज्यों से कहा गया है कि मरीज की स्थिति के बारे में अटेंडेंट को बताया जाए ताकि भय का माहौल कम हो। यह भी कहा गया है कि अटेंडेंट के बैठने के लिए फैसिलिटी बनाई जाए, जहां पर एक टेलिफोन लाइन हो जो नर्सिंग स्टेशन से कनेक्ट हो। एक सीनियर डॉक्टर दिन के तय समय में आकर अटेंडेंट को मरीज के बारे में बताएं। साथ ही मरीज की स्थिति के हिसाब से सुनिश्चित करें कि जितने भी अटेंडेंट हैं वह अपने मरीज से ऑडियो या विडियो कॉल के जरिए बात कर सकें।
कोविड नेगेटिव होने के 2 हफ्ते बाद लगा सकते हैं वैक्सीन
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर कोविड ठीक हो गया है तो उसके कम से कम दो हफ्ते इंतजार करना चाहिए और फिर उसके बाद वैक्सीन लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड हुआ है और ठीक हो गया है तब भी वैक्सीन लगानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी वजह से वैक्सीन का दूसरा डोज लगाने में देरी हो जाए तो घबराना नहीं चाहिए। दूसरा डोज लगने में कुछ दिन या कुछ हफ्ते की देरी हो जाए तो इसका मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन का असर नहीं होगा। तब भी वैक्सीन लगाने के बाद वह बूस्टर इफेक्ट देगा।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कई लोगों में कंफ्यूजन है कि होम आइसोलेशन कब पूरा माना जाए। उन्होंने कहा कि जब से लक्षण आए उसके 10 दिन बाद या एसिमप्टोमेटिक केस में जब सैंपल दिया गया उसके 10 दिन बाद आइसोलेशन पूरा माना जा सकता है, लेकिन आखिरी तीन दिन बुखार या कोई और लक्षण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बाद टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। यह गाइडलाइन में इसलिए डाला गया है क्योंकि माइल्ड केस में 7-8 दिन में वायरस डेड हो जाता है। वह फिर किसी को संक्रमित नहीं कर सकता। लेकिन आरटीपीसीआर में कई बार डेड वायरस भी पॉजिटिव होने का संकेत दे देता है।