कर्ज अदा करने व फौती कटवाने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप : दूसरी पत्नि को पुत्री बताकर करायी गई रजिस्ट्रीख, महिलाओं से अंगूठा लगवाकर भूमि की हुई रजिस्ट्री

मण्डलाl भूमि के क्रय विक्रय मामले में रजिस्ट्रा ऑफिस के अधिकारी सजग रहते हैं कि कोई फर्जीवाड़ा ना हो। वैंसे तो माना जाता है कि यहॉ गलतियॉ नहीं होती, किन्तु एक मामला जिले के निवास रजिस्ट्रा ऑफिस का प्रकाश में आया है। यहॉ कालपी भैंसवाही की 90 वर्षीय बुध्दो बाई गौंड़ एवं इनकी दो पुत्री रनिया बाई व सुमंत्री बाई गौंड़ के द्वारा कलेक्टार को शिकायत करते हुए बताया गया कि 14.09.2024 को मिहीलाल गौंड़ की मृत्यु हो गई है जिससे अब मृतक की भूमि खसरा नं.182 रकबा 0.2100, खसरा नं.155 रकबा 1.1800, खसरा नं.357 रकबा 0.0900, खसरा नं.447 रकबा 0.5000 हेक्टेोयर के हकदार पत्नि बुध्दोो बाई एवं इनकी दो पुत्री हैं। बताया गया कि, सहकारी बैंक में मृतक का 63 हजार रूपये कर्ज था जिसे अदा करने की बात नगरार पौंडी बीजाडांडी निवासी रिटायर्ड टीचर मयूर सिंह गोठरिया द्वारा कही गई थी। इसके एवज में मृतक के दामाद मंगल सिंह, मयूर सिंह गोठरिया के घर काम करता था।
इसी दौरान दिनांक 24.10.2024 को रिटायर्ड टीचर ने फौती कटवाने एवं कर्ज अदा करने के नाम पर उपरोक्तर लोगों को निवास बुलाया और उक्तं खसरे की भूमि को 03 लाख 25 हजार रूपये में अपने पुत्र कुलदीप गोठरिया आयु 34 वर्ष एवं अपनी दूसरी पत्नि सविता गोठरिया आयु 29 वर्ष के नाम विक्रय नामा की रजिस्ट्री करा ली गई है। रजिस्ट्री पत्र के अनुसार पत्नि सविता (29 वर्षीय) को पुत्री बताकर रजिस्ट्री करायी गई है। तीनों विक्रेता एवं एक गवाह मंगल सिंह निरक्षर एवं अनपढ़ हैं। अब ये अपने आप को ढगा हुआ महसूस करते हुए अनेक जिम्मेएदारों से शिकायत कर रहे हैं। मामले का खुलासा तहसील न्याहयालय निवास में उक्तम भूमि के प्रमाणीकरण के दौरान हुआ। मिली जानकारी के अनुसार क्रेता एवं विक्रेता दोनों पक्ष आदिवासी समाज के हैं और क्रेता पक्ष ने इसाई धर्म अपना लिया है। शिकायत पत्र में उक्तर रजिस्ट्रीस को निरस्तं करने एवं दोषियों के विरूध्दई कार्यवाही करने की मॉग की गई है। अब देखने वाली बात होगी कि इन निरक्षर महिलाओं को कौन और कैंसे न्यावय दिलाता है, आरोप कितना सहीं व गलत है ये तो जॉच के बाद ही पता चलेगा, फिलहाल तो रजिस्रीाय हो चुकी है और अब पीडि़त लोगों को ग्राम के मुकद्दम सुरेश मरावी साथ दे रहे हैं।