जबलपुरमध्य प्रदेश

उमरिया ग्राम पंचायत के केवलारी गांव आदिवासियों की दुर्दशा 100 साल गांव को बसे हुए रोड-पानी को मोहताज आदिवासी

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जबलपुर, यशभारत। आदिवासियों के उत्थान के लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों सड़क पर हैै । आदिवासी दिवस में इसका एक उदाहरण भी जबलपुर सहित अन्य जिलों में देखने को मिला। मप्र सरकार भी उन आदिवासियों को खोज रही है जिन्होंने आजादी के समय अपने प्राणा निछावर कर दिए लेकिन उन्हें अन्य शहीदों की तरह सम्मान नहीं मिला। सरकार का यह कदम सही भी है लेकिन एक ओर जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर उमरिया ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले केवलारी गांव में आदिवासी आंसू बहा रहे हैं। गांव के बसे 100 साल हो गए लेकिन इस गांव में रोड-पानी की व्यवस्था आज तक नहीं हुई है।

अधिकारी के वाहन गांव में आए वर्षों बीते
केवलारी गांव के आदिवासियों ने बताया कि सरकार किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। सालों पुराने जर्जर मकानों में रहने मजबूर है। जिला और जनपद पंचायत के अधिकारियों का दौरा कभी गांव में नहीं होता है। 40 से 50 साल पहले कुछ गाड़ियां गांव आई थी जिसके बाद आज तक अधिकारी की गाड़ी गांव नहीं पहंुची है।

 

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200 आदिवासी गांव में
बताया जा रहा है कि 50 से 60 परिवार केवलारी गांव में निवासरत है जिसमें करीब 200 आदिवासी रह रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि मूलभूत सुविधाएं पाने के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला और कलेक्ट्रट तक के चक्कर काट चुकें है लेकिन कही कोई सुनवाई नहीं हुई।

हैंडपंप में पानी नहीं डाल दी मशीन
आदिवासियों को सुविधाएं देने के लिए अधिकारी और जनप्रतिनिधि कितने गंभीर है अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएचई विभाग ने इस गांव में सालों बाद नल-जल योजना पहंुचानी चाही इसके लिए पैसा भी खूब खर्च किया गया है। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने खानापूर्ति करते हुए जिस हैंडपंप में कभी पानी रहा ही नहीं वहां पर मशीन डाल दी।

ग्राम पंचायत में किया प्रदर्शन
ग्रामीण भाजपा मंडल उपाध्यक्ष दयाशंकर उपाध्याय के नेतृत्व में केवलारी गांव के ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत उमरिया में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पनागर विधायक सुशील कुमार इंदू तिवारी के नाम भी प्रेषित किया गया।

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