उमरिया के गरीब बच्चे की मेडिकल में हुई जटिल सर्जरी : मिला सुनने का वरदान , परिजन मान बैठे थे हार, पांच लाख का यंत्र लगाकर दिया नवजीवन


जबलपुर, यशभारत। जन्म से कम सुनाई देने वाले एक मासूम बच्चे को मेडिकल में जटिल सर्जरी कर श्रवण यंत्र लगाया गया, जिसके बाद स्पीच थैरपी लेकर अब बच्चा नॉर्मल बच्चों जैसा ही अपना जीवन यापन कर पाएगा। बच्चे के जन्म के बाद परिजन हार मानकर बैठ गए थे, लेकिन मेडिकल डॉक्टरों ने उनकी इस हताशा को खत्म करते हुए बच्चे के कान में एक छोटा सा यंत्र लगाकर सुनने का वरदान दिया। जिसके बाद परिजनों की खुशियां अब फिर से लौट आईं है।
डॉ . कविता सचदेवा ईएनटी विभाग मेडिकल ने जानकारी देते हुए बताया कि उमरिया के निवासी रामलखन गुप्ता अपने बेटे अक्षित गुप्ता की सुनने से शक्ति ना होने से निराश थे। अक्षित जन्म से ही नहीं सुन सकता था, शुरु-शुरु में परिजनों को इस बात का आभास नहीं हुआ, लेकिन बच्चे के बड़े होने के साथ ही साथ पिता को इस बात का अंदेशा हुआ, जिसके बाद निजी चिकित्सकों से जांच करवाई गई, तब उन्होंने बताया कि बच्चे के पास सुनने की शक्ति नहीं है।
पांच लाख रुपए है यंत्र की कीमत
डॉ. कविता ने बताया कि उमरिया से रामलखन गुप्ता आए और उनसे संपर्क किया। जिसके बाद विभाग की तरफ से मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में बच्चे का रजिस्टे्रशन कराया गया। रजिस्ट्रेशन होने के तीन से छ: महिने के अंदर ही बच्चे का ऑपरेशन करना होता है, इतना ही नहीं परिजनों को ऑपरेशन के बाद रखी जाने वाली सावधानियों से भी अवगत करवाया जाता है। ताकि कोई दिक्कत ना हो। उन्होंने बताया कि योजना के तहत श्रवण यंत्र ऑपरेशन के माध्यम से बच्चे के कान के पीछे लगाया गया, जिसकी कीमत करीब पांच लाख रुपए होती है।
दो साल देते है स्पीच थैरपी
डॉ कविता ने बताया कि यंत्र लगाने के बाद दो साल तक बच्चे को स्पीच थैरपी दी जाती है, ताकि बच्चा यंत्र के माध्यम से सुनने का अभ्यस्त हो सके। अक्षित अब सुनने लगा है।
निकाली गई रैली
सितंबर के आखिरी हफ्ते को पूरे विश्व में वल्र्ड डॉक्टर वीक मनाया जाता है। श्रवण बाधित लोगों की तकलीफों को ध्यान में रखकर समाज को जागरुक करने के लिए ही आज मेडिकल डॉक्टरों ने मिलकर इस अवसर पर,हाथों में नारों से लिखी तख्तिंयों के साथ एक रैली निकाली। ताकि लोगों के मन में यह उत्साह जगाया जा सके कि कठिन से कठिन समस्याओं का भी इलाज संभव है।