इस घाट में गरीबों को नहीं लगते पैसे: लम्हेटा में अंतिम संस्कार कार्यक्रम की अनूठी पहल
10 युवाओं की टोली समाज सेवा में जुटी, नाव किराये को लेकर होती है बहस

जबलपुर, यशभारत। कोरोना संक्र्रमण के इस दौर नर्मदा घाटों में अंतिम संस्कार कार्यक्रम को लेकर लूट मची हुई है। लेकिन एक घाटा ऐसा भी जहां गरीब तबके के लोगों से पैसे नहीं लिए जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए की मदद के लिए पंड़ित, नाई से लेकर नाव वाले तक सेवा कार्य में जुट जाते हैं। यह कार्य लम्हेटा घाट में 10 युवाओं की टोली कर रही है। लम्हेटा घाट में खारी विर्सजन के लिए बड़ी तादद में लोग पहुंचते हैं। इसमें कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जिनके पास अंतिम संस्कार कार्यक्रम के लिए पैसा ही नहीं रहता है। ऐसे लोगों की स्थिति भांपकर 10 युवाओं की टोली उनकी हर तरह से मदद करते हैं। हालांकि नाव किराये को लेकर रोजाना इस घाट में बहस भी होती है। खारी विर्सजन करने पहुंचे लोगों का कहना था कि नाव वाले ज्यादा किराया लेते हैं जबकि सामान्य दिनों में किराया कुछ और होता है।
मास्क-सैनिटाइजर की व्यवस्था
लम्हेटाघाट के व्यवस्थापक मोनू दुबे ने बताया मानव सेवा कार्य ही सबसे बड़ा पुण्य है। इसलिए 10 युवाओं के साथ वह इस कार्य में जुटे हैं। खारी विर्सजन करने के लिए घाट पहुंचने वाले लोगों के लिए मास्क-सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। साथ ही गरीब तबके लोगों के लिए सारी व्यवस्थाएं नि:शुल्क रखी गई है। हालांकि कुछ लोग बहस करते हैं परंतु उन्हें जब समझाया जाता है तो वह मान जाते हैं।
नाव में 4 व्यक्ति से ज्यादा की अनुमति नहीं
मोनू दुबे का कहना है कि घाट में कोरोना नियमों का पालन हो इसके लिए बैरिकेट लगाए गए हैं, साथ ही नाव में खारी विर्सजन के लिए सिर्फ 4 लोगों की ही अनुमति है। मोनू दुबे ने बताया कि नाव किराया को लेकर बहुत से लोग लूट-खसूट का आरोप लगाते हैं। परंतु हमारे द्वारा नाव किराया निर्धारित नहीं किया गया है। कोई व्यक्ति 200 रूपए दे जाता है तो कोई 400 भी दे जाता है। नाव किराये को लेकर घाट समिति की तरफ से कोई बहस या फिर जबरदस्ती नहीं की जाती है।