आज रात होलिका दहन, बाजार में रौनक, कल रंगों में नहाएगा शहर, दो दिनों तक होली की मस्ती में चूर नजर आएंगे लोग

कटनी, यशभारत। रंगों के महापर्व होली की चहल-पहल शहर में आज से ही नजर आने लगी है। सुबह से ही बाजार में खासी चहल-पहल दिख रही है। यहां कल देर रात तक जमकर खरीददारी होती रही। आज रात होलिका दहन के साथ ही कल पूरा शहर रंगों में सराबोर नजर आएगा। अगले दो दिनों तक लोग होली की मस्ती में चूर नजर आएंगे। पर्व के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन भी सतर्क हो गया है और उत्पात मचाने वाले लोगों पर पैनी निगाह रखी जाएगी। होली को लेकर लोगों में खासा उत्साह नजर आ रहा है। खासकर युवाओं में होली का क्रेज ज्यादा है। युवाओं ने होली को अपने अंदाज में मनाने की तैयारी की है। एग्जाम खत्म होने के कारण बच्चों में भी पर्व को लेकर खुशियां नजर आ रही है।
आज 13 मार्च को शुभ मुहूर्त में शहर में जगह-जगह होलिका दहन होगा और इसके बाद अगले दो दिनों तक शहर में जमकर होली मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। होलिका दहन के अगले दो दिन रंगों वाली होली होती है। शहर में आज 13 मार्च को जगह-जगह होलिका दहन किया जाएगा। शहर में करीब एक सैकड़ा से अधिक स्थानों पर होलिका प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। सभी स्थानों पर कंडे की होली जलाई जाएगी। होली पर्व को लेकर शहर, उपनगरीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह पूरे चरम पर है। होलिका दहन के साथ बुराई का अंत तथा सत्य और अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में कल होलिका दहन होगा। शहर में सुभाष चौक में होलिका दहन पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसी तरह आजाद चौक होलिका महोत्सव समिति द्वारा भी आज शाम रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया है। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है। क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। इसके साथ ही इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इतना ही नहीं इसके साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं।
होलिका दहन का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन आज 13 मार्च को होगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक है।
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका की पूजा से पहले भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें। इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें। इसके साथ ही भोग लगा दें। फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों ओर परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा कर लें। इसके बाद होलिका में जल का अध्र्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें। फिर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें।
ऐसे शुरू हुई परंपरा
क्या आप जानते हैं कि होली खेलने की ये परंपरा कैसे शुरू हुई। पौराणिक कथाओं में रंगों की होली का संबंध श्रीकृष्ण और राधारानी से संबन्धित बताया गया है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने ही अपने ग्वालों के साथ इस प्रथा को शुरू किया था। यही वजह है कि होली के त्योहार को आज भी ब्रज में अलग ढंग से ही मनाया जाता है। यहां लड्डू होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली, रंगों की होली आदि कई तरह की होली खेली जाती हैं और ये कार्यक्रम होली से कुछ दिनों पहले से शुरू हो जाता है।



