अपनी ही सत्ता में सांसद और विधायकों की सुनवाई नहीं !
जनप्रतिनिधियों के पत्रों को तवज्जो नहीं दे रहे अफसर, शिकायतों के बाद एक्शन में आए कलेक्टर ने विभागों को चेताया

कटनी। जिले के जनप्रतिनिधियों के पत्रों को विभाग के अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे, इस वजह से कलेक्टर को सख्ती बरतनी पड़ी है। विभागों के अफसरों द्वारा सांसद से लेकर विधायकों के पत्रों का जवाब देने में रुचि नहीं लेने की शिकायत खुद जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर से लेकर भोपाल में बैठे बड़े अफसरों और मंत्रियों से की, इसके बाद कलेक्टर ने साफ निर्देश जारी कर दिए हैं कि जो भी पत्र विभाग को प्राप्त हो रहे हैं उनमें तत्काल एक्शन लिया जाए और जनप्रतिनिधियों को कार्यवाही से अवगत कराया जाए।
वर्तमान में केंद्र और राज्य से लेकर स्थानीय स्तर पर भी भारतीय जनता पार्टी ही सत्ता में काबिज है। जिला पंचायत और नगर निगम से लेकर जनपदों व नगर परिषदों में भाजपा समर्थित अध्यक्ष ही काबिज हैं, जबकि जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायकों के साथ सांसद भी भारतीय जनता पार्टी का है। जाहिर है जब पूरी सत्ता ही भाजपा की मुट्ठी में कैद है ऐसे में आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। जनता अपनी परेशानियों और समस्याओं को लेकर विधायकों और सांसद से लेकर पार्षद तक पहुंचती है। जनप्रतिनिधि पत्रों के जरिए इन समस्याओं को विभाग तक पहुंचाते हैं किंतु वर्तमान में चिंताजनक स्थिति यह है कि जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों में जमे अधिकारी और कर्मचारी जनप्रतिनिधियों के पत्रों को कोई तवज्जो नहीं दे रहे। विभागों में पत्र पहुंचते है तो इन्हें फैसलों में लगाकर बंद कर दिया जाता है। जनप्रतिनिधियों की आम शिकायत है कि उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि विधायकों ने पिछले दिनों प्रभारी मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के संज्ञान में भी यह बात लाई थी, साथ ही कलेक्टर से सीधे भी यह शिकायत की गई है कि विभागीय स्तर पर जरूरी पत्रों का जवाब तक नहीं दिया जाता। विडंबना है कि ऐसी लापरवाही उस जिले के प्रशासन तंत्र में हो रही है जिसके सांसद सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। अगर उनके क्षेत्र में हालात ये हैं तो फिर आम नागरिक आखिर किसके पास अपनी समस्या लेकर जाए, क्योंकि विधायकों के पत्रों को भी बाबू स्तर के कर्मचारी गंभीरता से नहीं ले रहे। नियमानुसार निर्वाचित या अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधियों द्वारा यदि किसी विषय को लेकर कोई पत्र लिखा गया है तो उसका जवाब उसे मिलना चाहिए, किंतु कटनी में जैसे पत्रों के जवाब की परिपाटी मौजूदा अधिकारी कर्मचारी समाप्त करने में लगे हैं।
कलेक्टर ने विभागों को दी चेतावनी
यह मामला संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने जिले के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे सांसद, विधायक से प्राप्त होने वोले पत्रों को गंभीरता से लें। समय पर उनपर कार्यवाही करें व उन्हे अवगत कराना भी सुनिश्चित करें। समय- समय पर सांसद सदस्यों विधायकों के पत्रों की पावती अनिवार्य रूप से ली जाये। उनके पत्रों पर कार्यवाही कर निर्धारित अवधि में की गई कार्यवाही से उन्हें अवगत कराया जाये। इस प्रकार के कलेक्टर श्री यादव द्वारा जिले में संचालित सभी विभाग प्रमुखों को निर्देशित किया गया है कि शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा सौहाद्रपूर्ण व्यवहार करने, उन्हें सार्वजनिक समारोह, कार्यक्रमों में आमंत्रित करने, उनसे प्राप्त पत्रों के लिये पृथक से पंजी संधारित करने तथा निर्देशित शिष्टाचार का पालन किया जाये। समस्त विभाग प्रमुखों को अपने अधीनस्थ कार्यालय के अधिकारियो से राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशों का कडाई से पालन करानें के निर्देश दिए है।
विपक्ष मुद्दे को लपकने की तैयारी में
विपक्ष जनप्रतिनिधियों के अधिकारों से जुड़े इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष करण सिंह चौहान यशभारत से बातचीत में कहते है कि जिस पार्टी की केंद्र से लेकर ग्राम पंचायतों तक में सत्ता है, उन्हीं के जनप्रतिनिधियों की जब प्रशासन तंत्र में सुनवाई नहीं तो आम जनता को होने वाली परेशानियों की सहज ही कल्पना की जा सकती है। उन्होंने जनसुवाई, सीएम हेल्पलाइन और लोक सेवा गारंटी जैसे सिस्टम पर भी सवाल खड़े किए। पिछले दिनों कलेक्टर ने ही कई अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी किए जिन्होंने आम जनता की शिकायतों को फोर्सली बंद कराया। करण सिंह ने कहा कि कांग्रेस इस मामले में गंभीर है। अधिकारी और कर्मचारी जब सांसदों और विधायकों को गंभीरता से नहीं लेते तो विपक्ष के नेताओं की तो बात ही दूर।